वो पल है बेहतरीन पल जो दिल में बैठा समझा दे, जीवन का अर्थ, बस वही है शाश्वत पल। ऐ पल तू ठहर जा, पल में बन जायेगा तू अगला पल, जाने कैसा होगा अगला पल,आज का पल है बेहतरीन पल, जी भर जी लूं यह पल, कह रहा है मन कमल। पल की कीमत पल ही जाने, बीत जाने पर हो जाना है बीता पल। पल -पल कीमती है, प्रयासों की मचा दो हलचल, जाने कब गुजर जाये यह पल, बन जाये अगला पल। हर पल को बना दो, बेहतरीन पल फिर लौटकर नहीं आयेगा यह पल। पल की कीमत पल ही जाने, नहीं ठहरता कोई भी पल,बन जाता है अगला पल। पल -पल बीत रहा है, कह रहे हो जिसे अगला पल उस पल में कर लेना, अपने जरूरी काम। यह पल भी होगा कल, फिर अगला पल समय नहीं लगेगा, हर पल को बीतते। वर्तमान पल को बना दो स्वर्णिम पल कल का पता नहीं, कब हो जाये फिर अगला कल। कल - कल बस कल, आज को जी लो मत टालो कामों को,कल का भविष्य हो जाना तय है।
संवेदनशील होना साधारण बात नहीं संवेदनाऐं प्रकृति प्रदत दिव्य उपहार है संवेदना ही मनुष्य को मनुष्य होने का एहसास कराती है। जाने कहाँ से उपजा होगा संवेदनाओं का अथाह सागर... जिसके रत्न हैं उपकार त्याग, दया, प्रेम, सहनशीलता आदि... संवेदनाऐं ही प्रकृति का आधार है.. तभी तो कुटुम्ब परिवार हैं, रिश्ते-नाते और त्यौहार हैं। संवेदना रहित मनुष्य को, दिखता बस स्वार्थ है। अंहकार का नशा करता अत्याचार है... भ्रम में जीता, उजाला समझ.. अंधी गलियों में बसाता संसार है - - फिर अंत मे होती हाहाकार है।। संवेदना विहीन धरा पर भार है।।