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Showing posts from April 28, 2024

नयी - नवेली

 समय की रफ्तार के साथ  मैं भी बह गयी, रोकना चाहा पर जल की धारा थी आगे की  ओर बहने लगी।  बहना मेरा स्वभाव है, बहुत कुछ समाया स्वयं में  पर कुछ ना एकत्र किया  जब-जब हलचल हुई  सब किनारे पर लगाती गयी वक की रफ्तार के साथ बहती चली गयी, हर दिन नूतन नवेली पर समय की रफ्तार के साथ मैं बहती रही  रुकी नहीं, रुकती तो बासी हो जाती विकार उत्पन्न हो जाते मुझमें  मैं बदली नहीं, हर दिन नयी नवेली आगे की और बढती जल धारा की तरह...