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Showing posts from November, 2021

शब्द अराधना

शब्द अराधना, शब्द तपस्या ‌ शब्द शक्ति शब्द ध्वनि गूंज  विद्युत तरंग तेज‌ माध्यम ध्वनि संदेश  शब्दों में अदृश्य असंख्य अद्भुत भेद  संयम की परख विचारों का चयन  वाणी से फूटे अमृत रस वेग   शब्दों के उपयोग की साधना  वाणी की सभ्यता सरस्वती की अराधना   विचारों को तराशना तोल- मोल के शब्दों के बोल  शब्द ब्रह्म ,शब्द देव, शब्द रचियता  शब्दों में अदृश्य कई अद्भुत भेद‌  शब्द शक्ति,‌‌ शब्द शाश्वत सृष्टि के तत्व  शब्द ध्वनि शब्द एक गूंज  भावों के रहस्यों में शब्द ब्रह्मांड का तेज  जिह्वा से वाणी का प्राधुभाव  अमृत रस प्रवाह  वाणी प्रज्ज्वला शब्द  अग्निप्रकाश‌  शब्दों का उपयोग अग्नि परीक्षाओं का तेज  शब्दों को तोल- मोल फिर बोल  शब्दों के नगिनों में रहस्य मणि अनेक  शब्द वही निकले दिव्य अर्थ सभ्यता के भेद संस्कृति के रहस्य निहित अनेक 

ठहराव से भराव

ठहरी थी क्योंकि खाई गहरी थी  रुकी थी ..पर थमी नहीं  मन में एक आस थी  मुश्किल था पर नामुमकिन नहीं  ठहराव से भराव  तक का सफर  गहरा था इस कदर  पीड़ा का दर्द था भयंकर  जाने कहां से हौसलों को उड़ान  मिलने लगी ठोकरें खायी इतनी  कि हर- पल सम्भल कर चलने ‌‌‌‌‌लगी  भीतर एक गहराई स्थितरता के सद्भाव  ने जन्म ले लिया  सरलता के भाव  से आत्मा की ओजस्विता बढ़ने लगी बहाव  के संग ठहराव भी आवश्यक लगा जीवन की उपयोगिता ज्ञात होने लगी  परहित धर्म अपना कर स्वभाव  में सरलता पनपने लगी  सभ्य संस्कारों का आधार  जीवन में मधुरता दया प्रेम रस श्रृंगार  जीवन का आधार बन गया  सभ्यता जीवन का श्रृंगार ‌‌‌‌बन गया  आत्मा का शुभ विचार बन गया ।     ‌

दुकानदार की उम्मीदें

सुबह-सुबह का समय था , अभी लगभग सुबह के साढ़े दस बजे होंगे । अभी कोई बोनी भी नहीं हुयी थी , दुकानदार की निगाहें सड़क पर चलते लोगों पर टिकीं थी कि कब कोई ग्राहक आये ‌‌‌‌और बोनी हो ।    पहला इंसान बड़ी उम्मीदें ,और फिर क्या हुआ ,वो लड़की आकर बोली, भाई साहब ,नहीं चाहिए आपका सामान,एक तो इतना मंहगा ऊपर से बेकार क्वालिटी ,रखो अपना सामान अपने पास.....   दुकानदार बहुत मायूस हो गया,वैसे तो दुकानदार के साथ ऐसा अक्सर होता ही रहता था,‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌लेकिन इतनी सुबह-सुबह और वो भी पहला ग्राहक दुकानदार बहुत उदास हो गया .....  दुकानदार उदास मन से उस लड़की   जरा बैठकर देखो दुकानदार की तरह ,सारा दिन एक - एक ग्राहक का इंतजार करना ,उस पर भी यह पक्का नहीं की ,ग्राहक कुछ लेकर भी जायेगा या नहीं ,सारा हाल झांटने के बाद कहना हमें पसंद नहीं आया ..... सोचिए और उस दुकानदार की तरह उसकी गद्दी ‌‌‌‌पर बैठकर देखिये , फिर आपको पता चल‌ जायेगा आटे - दाल का भाव ,आपने तो बड़ी आसानी से कह दिया , आपको पसंद नहीं आया मार अच्छा नहीं है ,नकली है मिलावटी है‌ । बहन जी आपने तो बड़ी आसानी से कह दिया , यहां हर कोई अपने और अपने परि

रफ्तार को सम्भाल ‌

 रफ्तार को सम्भाल  चल सम्भल,उतार-चढाव     को पहचान ... अटक मत,भटक मत  अटका तो थम जायेगा  भटका तो बिखर जायेगा  चहूं और नजर दौड़ा  स्वयं की और सब की फ़िक्र कर औरों को क्षतिग्रस्त होने से बचा  गया वक्त लौट कर नहीं आता  अटक मत,भटक मत, बस सम्भल  अटका तो थम जायेगा  भटका तो बिखर जायेगा बिखरा तो टुकड़ों में बंट जायेगा धारा बनकर सरल स्वभाव से कर्म करता चल ,  निर्मल जल की तरह बहता चल आगे बढ़ता चल...... स्वार्थ से परमार्थ को कर सफल ...

आज और कल

आज -आज है कल की खबर नहीं  आज को भी भरपूर जी लो  क्योंकि कल किसी ने देखा नहीं सम्भालो कल के‌ लिए भी  क्योंकि, वक्त एक सा नहीं होता  किन्तु आज को‌ मत गंवाना कल‌ के लिए  आज‌ का पता है....कल की खबर नहीं  बस थोड़ा सम्भालो कल के लिए भी  वक़्त एक सा नहीं होता .....

स्वागतम् शुभ स्वागतम्

 स्वागतम् शुभ स्वागतम्  आओ - आओ बंदनवार सजाओ‌  आंगन - आंगन पुष्प‌ बिछाओ  दीप जलाओ अंधियारा हटाओ  अमावस्या की रात्रि  चांदनी जगमगाओ‌  त्यौहार जीवन का सौहार्द  परम्पराओं की सौगात   संस्कृति का संसार   संस्कारों का अद्भुत संगम आनन्द ,उत्सव प्रेम सरोवर   जीवन उत्साह नव चेतना  नव प्राण उर्जा ,नव विश्वास नव रंग नव उत्साह  नव आशा की किरण  अमावस्या में चांदनी की चमक  कनक,चमक,धनक चमकीली रंगीली  सुख-समृद्धि की वृद्धि , रिद्धि संग समृद्धि ।।