जीत का बिगुल बजा हार का श्रृंगार कर हार एक त्यौहार जीत का आगाज है जश्न का ऐलान है हौसलों की उड़ान है दीप जो भीतर छिपा संकल्प से उसको जला धैर्य रख दृढ़ विश्वास रख उम्मीद का दीपक जला । आंधियों का शोर है तूफान की उठापटक मत अटक मत भटक वक्त यह भी टल जायेगा परिक्षाओं का दौर भागने की होड़ है तू भाग मत सम्भल कर चल मंजिल थोड़ी दूर है हर रात की होती अवश्य भोर है सफर पर है तू सफर कर सफर का मजा ले मगर धूप हो या सहर सम्भल तू पर चल हार की ना बात कर चल उठ हो खड़ा हार का श्रृंगार कर हार एक त्यौहार जीत का उद्घोष कर हार है सबक तेरा हार से तू सीख ले जीत से तू प्रीत कर