नन्हें मुन्नों की जिन्दगी और हमारा नजरिया ( बाल अधिकार ) निसंदेह ! इसमें कोई दो राय नहीं कि आज जो बाल हैं .. आने वाले समय में वो देश का भविष्य होंगें । बाल मन कच्ची मिट्टी के घङे के सामान ही होता है.... जैसा आकार देगें वैसे ही बन जायेगें ... स्वार्थ से ऊपर उठकर ... स्वयं की सुख सुविधाओं से ऊपर उठकर .. बालों को अच्छे संस्कार दें । घर परिवार में वातावरण साकारात्मक रखें ... आपसी मनमुटाव बहस - बाजी से बचें ... आज के बालमन पर सोशल मिडिया का भी बहुत अधिक प्रभाव है ... प्रारंभ से ही कार्टून देखते बच्चे भावों से रहित होकर कार्टून जैसी हरकते करते हैं ... थोड़े से बङे हुये तो गैजेट्स की दुनिया हर काम गैजेट्स पर निर्भर ...भावनाएं कहां से विकसित होगीं ....हिंसात्मक ..अपराध की दुनियां ...सोशल मिडिया पर यह सब देख- देख कर बच्चों को कुछ भी हिंसात्मक करना सामान्य सा लगता है .... इस लिए घर पर अभिभा...