हम.शुद्ध स्वदेशी हैं ,हम मिट्टी के दीपक हैं, हम अंधेरे में उजाले की चमक हैं कुम्हार के आंखों की चमक हैं ..हम कुम्हार के हाथों की मेहनत हैं ,हम.स्वदेश का स्वाभिमान हैं ..हम.मिट्टी के दीपक चकाचौंध से दूर.भीतर एक उजाला लिए बैठे होते हैं ...हममें गुरूर है.. भारत का स्वाभिमान हैं..