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Showing posts from September 1, 2022

धुएं की गुलामी

मार्डन कहलाने की लत जो लगी  धिक्कार .... शर्मसार ...गुलाम होते विचार  स्वयं का स्वयं पर ही नहीं अधिकार .... स्वयं के नाश का अंधा बाजार  झूठी गुलामी की बेड़ियां   मौत के सामान का अंधा बाजार  ना कोई अपना ना पराया  धुएं में ढूंढते खुशियों का संसार  क्या बनाओगे अपनी तकदीर  जब गिरफ्त में हो धुएं की गुलामी की जंजीर  लौट आओ ... धुएं के गुबार से वरना एक दिन आयेगा  धुएं की गिरफ्त में फंसे नौजवानों  आज तुम धुएं को स्वयं में समाते हो  कल जब धुआं तुममें  अपना घर बना लेगा  फिर कुछ ना बच पायेगा  पछतावे के सिवा कुछ भी हाथ ना आयेगा  मार्डन कहलाने का सारा भूत उतर जायेगा  धुएं में सब स्वाहा हो जायेगा ...