. पक्षियों के चहकने की आवाज खनकती चूड़ियों का आगाज सुहागनों के हाथों में रचती पवित्र मेहंदी की सौगात आओ सखियों झूमे नाचें गाएं आया है हरियाली तीज का त्यौहार **सावन का मौसम आया संग अपने सुख-समृद्धि लाया वर्षा की फुहारों से धरती का जल अभिषेक जब होता है प्रकृति प्रफुल्लित हरी-भरी हो जाती है वृक्षों की डालियां अपनी बाहें फैलाती हैं झूला झूलन को सखियों को बुलाएं प्रकृति संग सखियां भी सोलह श्रृंगार करती हैं वृक्षों की ओट में बैठ कोयल भी मीठा राग सुनाती है समस्त वातावरण संगीतमय हो जाता है चूड़ियों की खनक मन को लुभाती है हरियाली तीज को देवी पार्वती ने भी सोलह श्रृंगार और कठिन उपवास कर शिव को प्रसन्न किया था उस दिन से हरियाली तीज की शुभ बेला पर सुहागनें उपवास नियम करती हैं वृक्षों पर झूलों की पींगे जब चड़ती हैं आसमान की ऊंचाइयों में सखियां झूल-झूल कर हंसती है धरती झूमती है प्रकृति निखरती है पक्षीयों की सुमधुर ध्वनियों से सावन में प्रकृति समृद्ध और संगीतमय हो जाती है**