रफ्तार को सम्भाल चल सम्भल,उतार-चढाव को पहचान ... अटक मत,भटक मत अटका तो थम जायेगा भटका तो बिखर जायेगा चहूं और नजर दौड़ा स्वयं की और सब की फ़िक्र कर औरों को क्षतिग्रस्त होने से बचा गया वक्त लौट कर नहीं आता अटक मत,भटक मत, बस सम्भल अटका तो थम जायेगा भटका तो बिखर जायेगा बिखरा तो टुकड़ों में बंट जायेगा धारा बनकर सरल स्वभाव से कर्म करता चल , निर्मल जल की तरह बहता चल आगे बढ़ता चल...... स्वार्थ से परमार्थ को कर सफल ...