भूलने की आदत है अक्सर मेरी पर कुछ यादें भूलने पर भी याद रह जाती हैं - - क्या इत्तेफाक है जो याद रखना चाहता हूं वो याद नहीं रहता,जो याद नहीं रखना चाहता वो हमेशा याद रहता है। यादें बिन बुलाये मेहमान की तरह अक्सर दस्तक दे जाती हैं - - - दबे पांव वो मेरे घर में चली आती है आंगन में वो हवा के झोंकें सी बिखर जाती है। फिर इतराकर खूशबू ए बहार बन ठहर जाती है। वो ना होकर भी अपने होने का एहसास दिलाती है। अपनी यादों को ना मुझसे जुदा होने देती है उसकी यादों से मेरे सांसों की गति चलती है। मैं निकल जाता हूँ, दूर कहीं दिल बहलाने को दबे पांव वो मेरे पीछे चली आती है, मेरी यादें ही मेरी हमसफर बनकर मेरा साथ सदा निभाती हैं। दिल बहल जाता है, बीत यादों पर मुस्करा लेता हूं वो भी क्या दिन थे, सोच खुश हो जाता हूँ