वाणी को वीणा बना छेङ मधुर राग ... शब्द महिमा बङी अनमोल जब हो प्रवाहित निकले रत्न अनमोल शब्द प्रवाह दिव्य साधना तपस्या से विचारों को बांधना बंधन शक्ति का अभिप्राय मन की अनमोल विचारणीय सम्पदा स्वाध्याय से अति उत्तम फल प्राप्त शब्द निकले जो ब्रह्म का सार अखण्ड ज्योति से दिव्य प्रकाश वाणी को बना वीणा सजा सुर..छेङ मधुर राग मीठी तान का तालमेल सुना संगीत सुन्दर साज बजा कर आगाज भीतर भव्य सरोवर वाणी में रस अमृत की धार शब्द वीणा के छेङ सुन्दर तार जब भी निकले बस मधुर राग ... शीतलता का शब्द प्रवाह मन हर्षित सुखमय हो सब संसार ..