Skip to main content

Posts

Showing posts from November 26, 2024

उड़ान

आज फिर निकला हूँ घर से ख्वाबों का नया जहाँ बनाने को  खुले आसमां में उडान भरने को - -  हकीकत धरती पर फिसल गयी  जब पाषाण के टुकड़े पर पादुका अड गयी नजर धरती मां पर रुक गयी  किया प्रणाम--बड़ा सम्मान  धरा पर चलने को दिया स्थान आसमान की बातें धरती से जुड़ गयी  धरती से आसमां की नजरे मिल गयीं  ख्वाबों की हकीकत आंखों में उतर गयी  मंजिल अभी दूर है, चलना अभी बहुत दूर तक है  धरती से मेरी मोहब्बत बड़ गयी..  ख्वाबों की जमीं आसमां से जुड़ गयी  ख्वाब सजते थे यहाँ, पलते थे वहां  धरती की हकीकत आसमां में दिख गयी  खोखले स्वार्थ की आग , आसमां में धुआं बनकर उड़ गयी  ख्वाबों की जमीं धरा पर जीवंत हो गयी  . आसमान तक की उड़ान में एक कड़ी और जुड़ गयी।