अभी सद्भावनाओं से भरा है झोला भर लो,बटोर लो, कल किसने देखा अभी मन मे दुआएं हैं,शुभकामनाएं हैं भर लो, बटोर लो, व्यर्थ ना जाने दो इन्हें... नित प्रातः विचारों की बगिया से शुभ साकारात्मक विचारों के बीज चुनकर काव्य रस धारा का अमृतमयी रस छिड़क कर समाज को समर्पित कर देती हूं, जिससे शुभ साकारात्मक विचारों के प्रवाह से सबका मन हर्षित रहे... मन में नव ऊर्जा का संचार होता रहे मन में सदा साकारात्मक विचार आयें परमात्मा से वरदान मांगती हूँ की खूबसूरत और शुभ विचारों का चयन कर स्वयं का और समाज मार्गदर्शन करती रहूं।