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Showing posts from October 27, 2025

मुमकिन

 जो आज अकेला चला है      सच की राह पर खङा है       जिद्द पर अड़ा है  भविष्य में उसके पीछे कारवा       चला है। नामुमकिन तो कुछ भी नहीं  जो हमारे दायरे से बाहर है  उसे पार करने के लिए  हदें पार करनी पड़ती हैं  नामुमकिन को मुमकिन  बनाने के लिए  ।