जो आज अकेला चला है
सच की राह पर खङा है
जिद्द पर अड़ा है
भविष्य में उसके पीछे कारवा
चला है।
नामुमकिन तो कुछ भी नहीं
जो हमारे दायरे से बाहर है
उसे पार करने के लिए
हदें पार करनी पड़ती हैं
नामुमकिन को मुमकिन
बनाने के लिए ।
जो आज अकेला चला है
सच की राह पर खङा है
जिद्द पर अड़ा है
भविष्य में उसके पीछे कारवा
चला है।
नामुमकिन तो कुछ भी नहीं
जो हमारे दायरे से बाहर है
उसे पार करने के लिए
हदें पार करनी पड़ती हैं
नामुमकिन को मुमकिन
बनाने के लिए ।
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