सत्यम शिवम सुन्दरम सत्य पर मुखौटे लगाना आपना अस्तित्व मिटाना जैसे है हम सरल हैं सरल ही रहने दो चालाकियों का झूठा मुखौटा पहन अपनी वास्तविकता छिपा स्वयं को कुरूप नहीं बनाना सच को झूठ .. झूठ को सच बनाना हमें नहीं भाता सच को सच और गलत को गलत कहने की अदा ही हमने नियति से सीखी है... चालें चल अभी तो चल जायेगा . लेकिन जब ऊपर वाला अपनी चाल चलेगा तो सब बेहाल हो जायेगा .. सत्य में सरसता ,सत्य में सरलता सत्य ही शाश्वत ,सत्य हो सकता है आहत किन्तु नहीं होता कभी पराजित सत्य में निहित अदृश्य दिव्यता पशुता का उपद्रव ,करता सब अस्त-वयस्त मचती हाहाकार मानवता का तिरस्कार चक्रधारी अवतरित होता धनुष बाण तीर निशाना विष का अंत होता अमृत बरसता सत्य अमर है अमर रहता शाश्वत सत्य ही जीवन आधार सत्य से बंधा रचा-बसा समस्त संसार ..