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Showing posts from January 12, 2024

लोहड़ी एवं मकर संक्रांति

*लोहड़ी आयी है ध्योडी  अग्नि की लगाई फेरी  मूँगफली, गजक, रेवड़ी  अग्नि में डाली थोड़ी -थोड़ी  प्रसाद से भरकर झोली  मुंह में मिठास घोली  खुशियों से भरपूर रहे सबकी झोली ** भारत त्यौहारों का देश है विज्ञान और त्यौहारों का गहरा संबंध है प्रकृति, परिवर्तन नयी फसल की खुशियां  हर ऋतु परिवर्तन में भारत में कोई ना त्यौहार आता है  यह त्यौहार मात्र परम्परा नहीं..  इनके पीछे गहरे विज्ञानिक तथ्य भी निहित हैं जो त्यौहारों के कारण मनाये जाते है  सर्दी का मौसम. अग्नि देव का पूजन जो  हमें सर्द मौसम की गलन से मिटाती हैं  लोहड़ी, एवं मकर संक्रांति.. सूर्य का मकर राशि मे प्रवेश  तन और मन की स्वस्थता अग्नि एवं खिचड़ी संक्रांति अद्भुत  आओ अलाव जलायें जाड़े की गलन मिटायें  पूज्य अग्नि देव को मिष्ठान गुड़ का भोग लगायें  मन हर्षित,तन स्वस्थ हो यही सुख मनायें  सब मिल गपशप की कडियों में  करारी मूँगफली, गजक, रेवड़ी अलाव का स्वाद बढायें  उदर क्षुधा को खिचड़ी का भोग लगायें 

चलना बेहतर है

रुके रहने से बेहतर है चलना   मैं पैदल चला हूं  चल रहा हूँ खुश हूं  नहीं दौड़ना मुझको पैदल ही चलना मंजूर है मुझको  पग- पग रास्ते नापना अच्छा लगता है  जल्दी किस बात की.  थोड़ा रुककर सफर का आनन्द लेना भाता है मुझको  भागना क्यों? आगे बढने की इतनी जल्दी नहीं वक्त तो बढ ही रहा है. उसे कौन रोक पाया है हम तो रुक सकते हैं ना.. माना की सांसो की गिनती चल रही है जो पल मिले हैं उन्हें तो आनन्द से जी लें  कहीं आवश्यकता से अधिक रफ्तार से चलने में  जो पल वर्तमान मे मिला है वो भी ना गवां बैठे  आगे क्या होगा ज्ञात नहीं, आगे बेहतर होगा उत्तम है  परन्तु वर्तमान में जो है वो सर्वोत्तम है  फिर क्यों ना पैदल चल लूं और पल- पल का आन्नद लूं  पैदल चल रहा हूं, आंखो में पट्टी बांधकर नहीं भागना मुझे  पैदल हूं, चल रहा हूं, रुका नहीं हूं खुश हूं..  की तरल हूँ पाषाण नहीं...