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Showing posts from August 29, 2022

आधुनिकता का अंधकार

मेरी ज़िन्दगी मेरी मर्जी  वाह रे! पढ़ें लिखे मूर्खो.. गुलाम होते मूर्खो  स्वयं को समझ होशियार लेते हो धुम्रपान के नशे का आधार तुम्हारी गुलामी का इकरार ..  कमजोर मानसिकता का  झूठा ..  जहरीला ... बदनुमा ... अंधकार ..  मार्डन कहलाने की लत जो लगी है  आधी- अधूरी..आड़ी -तिरछी ,कटी- फटी पोशाकें  धुम्रपान के जहरीले धुऐं को अपनी सांसों में समाता   स्वयं को आधुनिक दर्शाने की होड़ में  स्वयं के ही मौत का मौहाल तैयार करता  गिरता- फिरता - स्वयं की चाल भी ना सम्भाल पाता  होशियार बनने का दिखावा करता ..   अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारता  स्वयं की तबाही का मंजर बनाता  आंखों पर बांधे आधुनिकता की पट्टी  आज का युवा स्वयं मे जहरीले धुएं को भी समाने से   परहेज़ नहीं करता ... माने है.. जाने है.. कहे है‌.. धुम्रपान की लत  तुम्हारी गुलामी का इकरार .. कमजोर मानसिकता का  झूठा ..  जहरीला ... बदनुमा ... अंधकार .. मत कर स्वीकार नशे का अंधकार ..  कमजोर मानसिकता का  का झूठा हथियार कर रहे। स्वयं...