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Showing posts from August 6, 2023

मित्र

 मित्र वो इत्र है , जो अपने मित्र की खूबियों को इत्र की तरह महकाता है  खुद पीछे रहकर भी, मित्र को सारे जहां का प्यार दिलाता है..  तू फिक्र का ..जिक्र ना कर ...कहकर  तेरा मित्र है ना आगे की ओर  कदम बढा सब ठीक होगा यही दिलासा दिलाता है  मित्र वही है जो हर पल पास ना होकर भी  जीवन को इत्र सा महकाता है  माना की दोस्त दो हस्ती हैं  उसमें मेरी और मुझमें उसकी रूह बसती है  तभी तो दोस्ती होती है   कुछ  कमियां तुझमें भी हैं मुझमें भी हैं  मित्र सब जानता है ..एक मित्र ही दूसरे मित्र को   कानों में आकर कहता है इशारों से भी समझाता है तू  आगे बढ मैं सब सम्भाल लूंगा .... जब कोई नहीं साथ  होता ,तब मित्र साथ होता है  ढाल बनकर सब सह जाता है ,चोटों का क्या ये ठीक हो जायेगीं मित्र तेरे हिस्स का दर्द  मैं सह लूंगा ,पता नहीं इतना फौलाद का सीना कहां से लाता है मित्र .... मित्र जीवन का इत्र होता है ,जो विश्वास का सम्बल बन हर- पल आगे की और बढने के लिए प्रेरित करता है ....और कहता है मैं हूं ना ...