विश्राम यानि मन को आराम प्रारम्भ एक नई ऊर्जा के साथ हलचल मचा दे एक ऐसा आगाज फिर जो सजे साज हो सबके दिलों की आवाज .. आजकल मैं छुट्टी पर हूं वक्त की पाबंद नहीं मनमर्जी की करती हूं .. फिर भी कुछ कायदे मेरा पीछा करते हैं मेरे चैन को बेचैन करते हैं मुझे समय की अहमियत बताते हैं .. तुम फिर आ गये .. कहा था ना मत आना मुझे चैन से रहने दो कुछ पल सूकून से जीने दो पर तुम तो ना.. समय बोला मैं बहती नदिया की रफ्तार हूं रुक जाऊं मेरा स्वभाव नहीं धीरे- धीरे ही सही पर रफ्तार बनाए रखना रुक गये तो कई विकार जन्म ले लेगें बहते रहोगे आगे बढते रहोगे तो भी मन को विश्राम मिलेगा ..