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Showing posts from August 20, 2022

साधारण हूं इसीलिए असाधारण हूं

 कभी भी किसी को हल्के में मत लेना हर कोई भीतर एक ज्वाला लिए बैठा है  साधारण हूं इसीलिए तो असाधारण भी हूं  आज के युग में साधारण होना भी कोई आसान नहीं  साधारण हूं क्योंकि सब समझ जाते हैं  असाधारण इसलिए की सब ऊपर से देखते हैं  भीतरी की गहराई जान नहीं पाते हैं   सरल हूं ..  तरल भी हूं  देता सबको शीतलता हूं ‌‌‌‌‌‌‌ भीतर एक ज्वाला लिए बैठा हूं  मुझसे खिलवाड़...मत करना  भीतर मेरे भी है हथियार .... सरल हूं तरल हूं निश्च्छल हूं  मेरी सरलता ही मेरी पहचान है  मेरी आन -बान और शान है  मैं शाश्वत हूं क्योंकि मैं सत्य हूं  मेरे अस्तित्व से छेड़छाड़ भूल होगी तुम्हारी  छल कपट के यंत्रो की रफ्तार भले ही जोरदार  अंत जब होगा तब ना रहेगा नामोनिशान ....