भावनाओ का सैलाब खुशियां भी हैं ...आनन्द मंगल भी है शहनाई भी है ,विदाई भी है जीवन का चक्र यूं ही चलता रहता है एक के बाद एक गद्दी सम्भाल रहा है... कोई ना कोई ,,जीवन चक्र है चलते रहना चाहिए चलो सब ठीक है ..आना -जाना. जाना-आना सब चलता रहता है और युगों- युगों तक चलता रहेगा ... भावनाएं समुद्र की लहरों की तरह उछाले मारती रहती हैं ... जाने क्यों चैन से रहने नहीं देती पर कभी गहरायी से सोचा यह मन क्या है ? भावनाओं का अथाह सैलाब कहां से आया मन की अद्भुत हलचल ,विस्मित, अचंभित अथाह गहराई भावनाओं की ....कोई शब्द नहीं निशब्द यह भावनायें हैं क्या ?...कभी तृप्त नहीं होतीं .... भावनाओं का गहरा सैलाब है क्या ? और समस्त जीवन केन्द्रित भी भावों पर है ... एक टीस एक आह ! जो कभी पूर्ण नहीं होने देती जीवन को खोज करो भावों की मन में उठते विचारों के कोलाहल की क्यों कभी पूर्णता की स्थिति नहीं होती एक चाह पूरी हुई दूसरी तैयार ....वो एक अथाह समुद्र की .. खोज है मुझे ...भावों के अथाह अनन्त आका...