आज बङी शान से चलते हो जिन रोशन राहों पर .. उस रोशनी पर सिर्फ अपना हक नहीं समझना कई चिरागों ने जलकर स्वयं को स्वाहा किया होगा उन राहों को रोशन करने के लिए .. पहचान तुम्हारी यूं ही नहीं हवाओं मेॅ अपनी महक फैला रही है कहीं किसी ने अपने जीवन के कई वर्ष लगा दिए होगें.. तुम्हें कामयाब बनाने और खुद कुछ नहीं सा खुश है तुम्हारी पहचान मेॅ अपनी खुशी पाने के लिए ... अपना क्या कुछ भी नहीं अपने सपनों को साकार किया है तुममे ..तुम किसी का सपना हो किसी के संघर्षो की किसी के अस्तित्व को पल- पल स्वाहा होना पङा होगा .... आज वो जो तुम्हें कुछ नहीं से नजर आते हैं तुम्हें तुम्हारे मुकाम तक पहुंचाने के लिए.. कितनी बार झुके होगें तुम्हें उंचाई पर पहुंचाने के लिए .. सदा आदर करना सम्मान देना वो बहुत मिटे हैं तुम्हें कामयाब बनाने के लिए ... कई बार हंसी का पात्र बने हैं बेफिजूल के कामों को मिसाल बनाने के लिए ...