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Showing posts from October 27, 2024

अल्हड़ मन

 दीदार नयन होता रहे, प्रेम को अनकहा करे  कसक मन की ना थमें , दिल कहीं भी ना रमें अल्हड़ मन चंचल चपल, निष्ठुर बेमानी  सजाता सपनों की कहानी, करे सदा मनमानी।।  प्रेम परिभाषित करुं, निर्मल मन की कसक  प्रेम में समर्पण, ज्यों भीतर करे देवत्व दर्शन।।  प्रेम जीवन उपसंहार, प्रेम जीवन का सारांश  प्रेम को भटके सभी, प्रेम को तरसे सभी।।  प्रेम मन की मीठी ठसक, अनकही सी कसक  प्रेम मर्यादा में बंधी,  लक्ष्मण रेखा ना भटक।।  सरल मासूम बालक, सा मन  करता नादानी  बन पंछी भरता उडान, मन ज्ञानी भ्रम अज्ञानी  ।। 

चलती रेल

चलती रेल  अद्भुत मेल बढे लोकाचार  समाजिक व्यवहार  यात्री सवार  आवश्यकता आधार  सुहानी डगर  ताके इधर- उधर  मंजिल किधर   अन्जाना सफर  जीवन सरक संसार आनंद प्रकृति देवानंद  सुर उपजे  गाते गीत  दिल पीर  ख्वाब जंजीर  मन अधीर  नामुमकिन मनमीत  आशा  दीद  चक्षु नीर  मुख प्रसन्न  दिल पीर  अद्भुत कला  बाहर आकर्षण  भीतर जंजाल  भाव कोलाहल  सविकृत सत्य  मन भेद  जीवन संक्षेप  तालमेल  सब खेल   चलती जीवन रेल  यात्री सवार  सफर यादगार  कर इकरार  ना इंकार  कर्म आधार जीवन सार...