खामोश चीखों की तड़प अनकही - - दास्तान - - दर्द में कराह थी कराह की सजा भी थी वजह भी ना अजब ही थी दुआ की जब अदा होगी दिलों में लाखों के तड़फ होगी जो हर दिल ने सही पर शब्दों से ना कही कुछ अनकही सी बातें खामोश सी चीखीं इक वाह! में आह! थी रब बनकर वो रहते हैं इस दिल में दफन होकर उस आह! में चाह भी थी उस चाह! में इक राह! भी थी राहों में पड़े थे शूल चोटिल भी हुये थे बहुत इस दर्द ए मोहब्बत का इतना सा फसाना है जिसे चाहा कभी हमने उसे ना पाने की खलिश होगी जीवन की दर्द भरी साजिश होगी साजिश के ना गवाह होगें .. ना कभी गवाही होगी मेरी मोहब्बत, इबादत बनकर रब बनकर भी रह लेगी पाप नजरों से बचकर, मेरे दिल में दफन होगी।