Skip to main content

Posts

Showing posts from November 23, 2024

खामोश चीखें

खामोश चीखों की तड़प  अनकही - - दास्तान - -  दर्द में कराह थी  कराह की सजा भी थी  वजह भी ना अजब ही थी  दुआ की जब अदा होगी   दिलों में लाखों के तड़फ होगी   जो हर दिल ने सही   पर शब्दों से ना कही  कुछ अनकही सी बातें  खामोश सी चीखीं इक वाह! में आह! थी  रब बनकर वो रहते हैं  इस दिल में दफन होकर  उस आह! में चाह भी थी  उस चाह! में इक राह! भी थी  राहों में पड़े थे शूल चोटिल भी हुये थे बहुत  इस दर्द ए मोहब्बत का इतना सा फसाना है जिसे चाहा कभी हमने  उसे ना पाने की खलिश होगी  जीवन की दर्द भरी साजिश होगी  साजिश के ना गवाह होगें .. ना कभी गवाही होगी  मेरी मोहब्बत, इबादत बनकर   रब बनकर भी रह लेगी  पाप नजरों से बचकर, मेरे दिल में दफन होगी।   

लेखक

  जब आप अपनी अभिव्यक्ति या कुछ लिखकर समाज के समक्ष लाते हैं, तो आपकी जिम्मेदारी बनती है कि आप समाज के समक्ष बेहतरीन साकारात्मक विचारों को लिखकर परोसे,   जिससे समाज गुमराह होने से बचे..प्रकृति पर लिखें, वीर रस लिखें, सौंदर्य लिखें, प्रेरणादायक लिखें, क्रांति पर लिखें ___यथार्थ समाजिक लिखें  कभी - कभी समाजिक परिस्थितियां भयावह, दर्दनाक होती---बहुत सिरहन उठती हैं.... क्यों आखिर क्यों ? इतनी हैवानियत, इतनी राक्षसवृत्ति.. दिल कराहता है.. हैवानियत को लिखकर परोस देते हैं हम - - समाज को आईना भी दिखाना होता... किन्तु मात्र दर्द या हैवानियत और हिंसा ही लिखते रहें अच्छी बात नहीं..   लिखकर समाज को विचार परोसे जाते हैं.. विचारों में साकारात्मकता होनी भी आवश्यक है।  प्रेम अभिव्यक्ति पर भी लिखें प्रेम लिखने में कोई बुराई नहीं क्योंकि प्रेम से ही रचता-बसता संसार है.. प्रेम मन का सौन्दर्य है, क्यों कहे सब व्यर्थ है, प्रेम ही जीवन अर्थ है प्रेम से संसार है, प्रेम ही व्यवहार है प्रेम ही सद्भावना, प्रेम ही अराधना प्रेम ही जीवन आधार है.. प्रेम में देह नहीं, प्रेम एक जज्बात...