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Showing posts from March 14, 2023

मीठा एहसास

वो अक्सर !  मेरे घर की खुली खिङकी से  बेझिझक अंदर चला आता है  मन को सहला जाता है  एक मीठा सा एहसास   दिल को ठंडक दे जाता है  वो ठंडी हवा का झोंका  जीने की चाह बङा जाता है  मन को हल्का कर  जाता है  जीवन में उमंग जगा जाता है  मैं अक्सर खिङकी खुली ही छोङ देता हूं  क्योकि वो बेफिक्र चला आता है  मेरी प्रभात और संध्या को सुहाना करने .. मैं अक्सर अपने घर की खुली खिङकी से झांक लेता हूं बाहर... रंग- बिरंगी सुनहरी तितलियां  मन को भा जाती हैं मन पहुंच जाता है अप्सराओं के जहां में    पुष्पों की बगिया का सुहाना मंजर देख  चम्पा- चमेली, गुलाब गुङहल,  सूरज मुखी को प्रभात में जीवंत होते देख  अक्सर अचंभित हो जाता हूं  प्रकृति में प्राणों के होने को सत्य पाता हूं  गुलाबों की महक मन को भा जाती है  हरी- भरी पत्तियां आंखों को ठंडक देती हैं  मन को भी तरोताजा कर जाती हैं ... निशा में अम्बर पर टिमटिमाते सितारों को घंटो पलक झपकाए निहारता हूं  मैं अक्सर अपने घर की खुली खिङकी को  खुला छोङ देता हूं प्रकृति से प्राणों की आवाजाही के लिए  ... अपने घर में प्राणवायु के आवागमन के लिए  ...