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Showing posts from July 17, 2024

दोस्ती की परम्परा

   06, 2017   1 टिप्पणी:  इसे ईमेल करें इसे ब्लॉग करें! Twitter पर शेयर करें Facebook पर शेयर करें Pinterest पर शेयर करें मित्र मेरी फिक्र दोस्ती की परम्परा फरिश्तों के जहां से आयी होगी  बिना किसी बंधन के धरती की खूबसूरती बढ़ायी होगी तभी तो दोस्तों की महफिल में बचपने की फितरत आयी होगी  मेरे आने की आहट भी वो पहचानता है  वो मेरी फिक्र करता है  वो अक्सर दिन रात मेरा ही जिक्र करता है मुझे बेझिझक डांटता है  मुझ पर ही हुक्म चलाता है  मेरी कमियां गिन गिन कर मुझे बताता है  कभी कभी वो मुझे मेरा हम मीत मेरा दुश्मन सा लगता है मगर वो मुझे अपने आप से भी अजीज है वो मेरा मित्र मेरे जीवन का इत्र जिसका मैं  अक्सर और वो मेरा अक्सर करता है जिक्र  उसे मेरी और मुझे उसकी हरपल रहती है फिक्र... 

सावन का मौसम है आया

 आओ सखियों झूमें नाचे गायें  आया सावन तीज का त्यौहार  पक्षियों के चहकने की आवाज   खनकती चूड़ियों का आगाज   सुहागनों के हाथों में रचती पवित्र    मेहंदी की सौगात    आओ सखियों   झूमे नाचें गाएं आया है हरियाली तीज का त्यौहार      **सावन का मौसम आया संग अपने सुख-समृद्धि लाया वर्षा की फुहार, हरा-भरा सुख-समृद्धि  से भरपूर रहे संसार...  वृक्षों की डालियां अपनी बाहें फैलाती  झूला झूलन को सखियों को बुलाती प्रकृति संग सखियां भी सोलह श्रृंगार करती हैं वृक्षों की ओट में बैठ कोयल भी मीठा राग सुनाती है समस्त वातावरण संगीतमय हो जाता है चूड़ियों की खनक मन को लुभाती है हरियाली तीज को देवी पार्वती ने भी सोलह श्रृंगार और कठिन उपवास कर शिव को प्रसन्न किया था उस दिन से हरियाली तीज की शुभ बेला पर सुहागनें उपवास नियम करती हैं वृक्षों पर झूलों की पींगे जब चड़ती हैं आसमान की ऊंचाइयों में सखियां झूल-झूल कर हंसती है धरती झूमती है प्रकृति निखरती है पक्षीयों की सुमधुर ध्वनियों से सावन में प्रकृति समृद्ध और संगीतमय हो जाती है**