Skip to main content

सावन का मौसम है आया

 आओ सखियों झूमें नाचे गायें 

आया सावन तीज का त्यौहार 

पक्षियों के चहकने की आवाज

  खनकती चूड़ियों का आगाज
  सुहागनों के हाथों में रचती पवित्र
   मेहंदी की सौगात 
  आओ सखियों  झूमे नाचें गाएं आया है हरियाली तीज का त्यौहार
     **सावन का मौसम आया
संग अपने सुख-समृद्धि लाया
वर्षा की फुहार, हरा-भरा सुख-समृद्धि
 से भरपूर रहे संसार... 
वृक्षों की डालियां अपनी
बाहें फैलाती झूला झूलन को
सखियों को बुलाती
प्रकृति संग सखियां भी
सोलह श्रृंगार करती हैं
वृक्षों की ओट में बैठ कोयल भी
मीठा राग सुनाती है
समस्त वातावरण संगीतमय हो जाता है
चूड़ियों की खनक मन को लुभाती है
हरियाली तीज को देवी पार्वती ने भी
सोलह श्रृंगार और कठिन उपवास कर
शिव को प्रसन्न किया था
उस दिन से हरियाली तीज की शुभ बेला पर
सुहागनें उपवास नियम करती हैं
वृक्षों पर झूलों की पींगे जब चड़ती हैं
आसमान की ऊंचाइयों में सखियां
झूल-झूल कर हंसती है
धरती झूमती है
प्रकृति निखरती है
पक्षीयों की सुमधुर ध्वनियों से
सावन में प्रकृति समृद्ध और संगीतमय हो जाती है**

Comments

Popular posts from this blog

खोज मन में उठते भावों की

भावनाओ का सैलाब  खुशियां भी हैं ...आनन्द मंगल भी है शहनाई भी है ,विदाई भी है  जीवन का चक्र यूं ही चलता रहता है  एक के बाद एक गद्दी सम्भाल रहा है... कोई ना कोई  ,,जीवन चक्र है चलते रहना चाहिए  चलो सब ठीक है ..आना -जाना. जाना-आना सब चलता रहता है  और युगों- युगों तक चलता रहेगा ... भावनाएं समुद्र की लहरों की तरह  उछाले मारती रहती हैं ... जाने क्यों चैन से रहने नहीं देती  पर कभी गहरायी से सोचा यह मन क्या है  ?  भावनाओं का अथाह सैलाब  कहां से आया  मन की अद्भुत  हलचल  ,विस्मित, अचंभित अथाह  गहराई भावनाओं की ....कोई शब्द नहीं निशब्द  यह भावनायें हैं क्या ?...कभी तृप्त  नहीं होतीं .... भावनाओं का गहरा सैलाब है क्या ?  और समस्त जीवन केन्द्रित भी भावों पर है ... एक टीस एक आह ! जो कभी पूर्ण नहीं होने देती जीवन को  खोज करो भावों की मन में उठते विचारों के कोलाहल की  क्यों कभी पूर्णता की स्थिति नहीं होती एक चाह पूरी हुई दूसरी तैयार  ....वो एक अथाह समुद्र की .. खोज है मुझे ...भावों के अथाह अनन्त आकाश की ... उस विशाल ज्वालामुखी के हलचल की ...भावों के जवाहरात की ..जो खट्टे भी हैं मीठे भी  सौन्दर्य से पर

ध्यान योग साधना

  ध्यान योग का महत्व... ध्यान योग साधना साधारण बात नहीं... इसका महत्व वही जान सकता है.. जो ध्यान योग में बैठता है।  वाह! "आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी" आप धन्य है... आप इस देश,समाज,के प्रेरणास्रोत हैं।  आप का ध्यान योग साधना को महत्व देना, समस्त देशवासियों के लिए एक संदेश है... की ध्यान योग का जीवन में क्या महत्व है। ध्यान योग साधना में कुछ तो विशिष्टता अवश्य होगी...वरना इतने बड़ देश को चलाने वाले प्रधानमंत्री के पास इतनी व्यस्तता के बावजूद इतना समय कहां से आयेगा कि वह सब काम छोड़ ध्यान में बैठे।  यथार्थ यह की ध्यान योग साधना बहुत उच्च कोटी की साधना है... दुनियां के सारे जप-तप के आगे अगर आपने मन को साधकर यानि मन इंद्रियों की की सारी कामनाओं से ऊपर उठकर मन को दिव्य शक्ति परमात्मा में में लगा लिया तो.. आपको परमात्मा से दिव्य शक्तियां प्राप्त होने लगेगी। लेकिन इसके लिए आपको कुछ समय के लिए संसार से मन हटाकर.. ध्यान साधना में बैठना होगा... एक बार परमात्मा में ध्यान लग गया और आपको दिव्य अनुभव होने लगें तो आप स्वयं समय निकालेगें ध्यान साधना के लिये।  आप सोचिए अगर देश को चलाने

श्रीराम अयोध्या धाम आये

युगो - युगों के बाद हैं आये श्रीराम अयोध्या धाम हैं आये  अयोध्या के राजा राम, रामायण के सीताराम  भक्तों के श्री भगवान  स्वागत में पलके बिछाओ, बंदनवार सजाओ  रंगोली सुन्दर बनाओ, पुष्पों की वर्षा करवाओ.  आरती का थाल सजाओ अनगिन  दीप मन मंदिर जलाओ...दिवाली हंस -हंस मनाओ...  श्रीराम नाम की माला  मानों अमृत का प्याला  राम नाम को जपते जपते  हो गया दिल मतवाला....  एक वो ही है रखवाला  श्री राम सतयुग वाला...  मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम  रामायण के श्री सीता राम  आलौकिक दिव्य निराले  सत्य धर्म पर चलने वाले  सूर्यवंश की धर्म पताका ऊंची लहराने वाले  मर्यादा  से जीवन जीने का  संदेशा देते श्री राम सतयुग वाले  प्राण जाये पर वचन ना जाये  अदभुद सीख सिखाते  मन, वचन, वाणी कर्म से  सत्य मार्ग ही बतलाते....  असत्य पर सत्य की जीत कराने वाले  नमन, नमन नतमस्तक हैं समस्त श्रद्धा वाले...