ए बहारों तुम फिर भी आते रहना मेरे घर आंगन को महकाते रहना मेरे जाने के बाद मेरे ना होने पर तुम बगिया में फूल खिलाते रहना चम्पा ,चमेली मेरी बगिया में हर पल तुम रौनक रखना । शाम ढले जब सूरज छिपे शीतल हवा के झोंकें चले तुम अपने होने का सबूत देना हवाओं में घुल- मिलकर आंगन में मंद सुगंध भर देना हर्षित मन से तुम आना -जाना घर आंगन को हरा-भरा रखना जीवन का सबब बनकर तुम प्रेरणाओं का सबब बनना ए बहारों तुम फिर भी आते रहना मेरे घर आंगन को महकाते रहना मेरे ना होने पर मेरी अनुभूति देते रहना ।