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Showing posts from February 7, 2022

बहारों तुम फिर भी आती रहना

ए बहारों तुम फिर भी आते रहना  मेरे घर आंगन को महकाते रहना  मेरे जाने के बाद मेरे ना होने पर  तुम बगिया में फूल खिलाते रहना  चम्पा ,चमेली मेरी बगिया में हर पल  तुम रौनक रखना । शाम ढले जब सूरज छिपे शीतल हवा के‌ झोंकें चले तुम अपने होने का सबूत देना  हवाओं में घुल- मिलकर आंगन में मंद सुगंध भर देना  हर्षित मन से तुम ‌‌‌आना -जाना  घर आंगन को हरा-भरा रखना  जीवन का सबब बनकर तुम प्रेरणाओं  का सबब बनना  ए बहारों तुम फिर भी आते रहना  मेरे घर आंगन को महकाते रहना  मेरे ना होने पर मेरी अनुभूति देते रहना ।

मेरे जाने के बाद

एक बहारों मेरे जाने के बाद   मेरा घर आंगन महकाते रहना  कुछ फूल गुलाब के खिलाते रहना .... दिलों में अपनत्व के बीज उगाते रहना .... जब पतझड़ का मौसम आयेगा मिट्टी में मिल जाऊंगा  अपनी शाख से जुदा हो जाऊंगा  मैं भी राख हो जाऊंगा  जब पतझड़ का मौसम आयेगा  जो मुझको ना मिली जीते जी  वो करुणा मुझ पर बहायी जायेगी ‌ काश ! जीते जी मुझे कोई समझ जाता  मेरे हिस्से की ममता मुझ पर लुटा जाता तो मैं कुछ पल और मुस्कुरा लेता  मेरे जाने के बाद मेरे किस्से गड़े जायेंगें  मुझ पर मोहब्बत लुटायी जायेगी  मैं तुम सबको बहुत याद आऊंगा  मेरे ना होने पर चर्चे बहुत मेरे सुनाते जायेंगे कहानियों में कुछ यादें सुहानी छोड़ जाऊंगा  पर बहारों तुम फिर भी आती रहना  इस धरा को प्राणवायु से भरपूर करते रहना शाखों पर नये पत्ते आते रहेगें  फल -फूलों से बाग सजते रहेंगे  बहारों मेरे घर आंगन में कुछ कलियां  गेंदें की भी खिलाते रहना  गुलाब से भी आंगन महकाना एक वृक्ष आम का अमरूद  का उगाना, फल ,फूलों से मेरा घर आंगन भरपूर रखना  मेरे घर को सुनसान ना रखना चिड़ियों की चहचहाहट  कोयल की मधुर आवाज़ भी गूंजा न बहारों मेरे जाने के बाद भी मेरा घर