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Showing posts from November, 2023

नायाब

कुछ चीजें होती हैं नायाब  ये आंसू खुदा के सबसे पास हैं  हर किसी के आगे लुटायी नहीं जाती . आंसूओं की भी अपनी कीमत होती है हर किसी के आगे बहाये नहीं जाते आंसू  कुछ बातों को अक्सर जमाने से.छिपा जाना  कुछ उलझनों को मुस्कराहट में दबा जाना छिपकर रोने को दिल की मजबूरी ना समझना  कीमत होती है आंसूओं की भी,अपनी  हर किसी के आगे बहाये नहीं जाते आंसू तङफते दिल की सिसकियों की, आवाज हर कोई नहीं सुन सकता यह आवाज दिल वाले ही सुन सकते हैं  धड़कनों की आवाज जब दिल को तङफाती है  जाने कौन सी मजबूरी सिसक कर करहाती है लिपट कर चादर से, तकिये पर सिर रखकर  ना जाने आंसूओं को कितना बहा जाती  छिपकर रोना मजबूरी नहीं, पसंद अपनी-अपनी. भी नहीं, यह वो बातें हैं जो सनझायी नहीं जाती  आंसूओं की भी कीमत होती है नायाब  यह वो मोती हैं जो हर किसी के आगे लुटाये नहीं जाते .....

यात्रा

आजकल मैं बाहर की कम  अंदर की यात्रा ज्यादा करती हूं  बाहर घूमकर देखा अपने अस्तित्व की ऐसी की तैसी हो गयी , जमाने की भीङ में ,मैं कहां खो गयी  अब अपना अस्तित्व पहचानने की कोशिश कर रही हूं जब से गहराई में उतरी हूं  मालामाल हो गयी हूं  विभिन्न रत्न हाथ लग रहे हैं  बाहर का आकर्षण अब नहीं भाता अपने अस्तित्व का आभास हो रहा है  मैं होकर भी मैं नहीं हूं  मैं होकर भी मैं ही हूं  माया का जाल अक्सर भरमाता है  अंतरिक्ष में तारे गिनती हूं  हर तारे की अपनी कहानी  जाने आग या पानी या दुनियां सुहानी  जानने को उत्सुक कोई अनसुनी कहानी  चांद की या फिर चांदनी की दुनियां दिवानी  नील समुंद्र की लहरों की खूबसूरती मानों कहती हों जीवन की कहानी  दुनियां है आनी -जानी लहरों सी आती- जाती जिन्दगानी  मैं होकर भी ,मैं से ऊपर की कहानी  जिन्दगी सुहानी या फिर स्वप्न की कहानी ...

जाने कहां जा रहे हैं सब

 जाने कहां जा रहे हैं सब  मंजिल कहीं ओर है ,रास्ते कहीं ओर  जान - बूझकर मंजिल से हटकर  अन्जानी राहों पर चल रहे हैं लोग  सब अच्छा देखना चाहते हैं  सब अच्छा सुनना चाहते हैं  अच्छाई ही दिल को भाती भी है  अच्छाई पाकर गदगद भी होते हैं सब.. भीतर सब अच्छाई ही चाहते हैं फिर ना जाने क्यों भाग रहें हैं , बिन सोचे समझे अंधों की तरह  भेङ चाल की तरह ,जहां जमाना जा रहा है  हमारी समझ की ऐसी की तैसी ,जहां जमाना जायेगा  हम भी वहीं जायेगें ,बिना सोचे- विचारे  अंधी दौङ में ,फिर चाहे खाई में गिरे या कुएं में .. अब रोना नहीं ,जिसके पीछे भागो हो ,वही मिलेगा जो  जिसके पास  है ... समझाया होगा मन ने कई बार ... पर अपने घरवालों और अपने मन की कौन सुनता है .. घर की मुर्गी दाल बराबर  ... अपने सबसे अजीज मित्र  अपने ही मन का जो ना हुआ ... उसकी जमाने से अच्छाई की  उम्मीद करना निर्रथक है .... अच्छाई जो दिल को भाती है ...तो अपने मन की सुनों मन की करो मन कभी गलत राह नहीं दिखाता ,उसे फिक्र होती है  अपनों की ,भटकने से रोकता है मन ,समझाता है, सिक्के के दोनों पहलू समझाता है ... क्योकि मन सिर्फ अच्छा देखना चाहता है ...अच्छा औ

खुला आसमान

पैरों में बांधकर जंजीर नचाने की आजादी है  यह कैसी आजादी है, पैर थिरकते हैं ,नाचते हैं  घायल होकर, अपने जख्मों के निशान छोङ जाते हैं  पर कटे पंखो का दर्द ,भी कितना.अजीब  है  नाचता है मन ही मन ,उङता है भीतर ही भीतर .. पंख फैलाकर उङने को उत्सुक ...... पर बेड़ियां भी शायद जरूरी हैं  अपनी सीमाओं का अंदाजा रहता है  सीमायें नहीं टूटती ,आखिर सबको अपनी  जमीं चाहिए, अपना आकाश चाहिए  बुनने को ख्वाब, एक आधार चाहिए... ख्वाबों की जमीं पर आजाद पंख चाहिए  धरती की खूबसूरती हमसे है, आसमान की ऊंचाइयों पर टिमटिमाते सितारों तक ऊँची उङान चाहिए... ख्वाबों की धरती पर  कुछ निशान अपने भी चाहिए.... मत बांधों जंजीरें ,वो भी लिखेंगे तकरीरें अपनी  उनको भी उङने को खुला आसमान चाहिए...

किक्रेट. क्रिकेट. किक्रेट .

 क्रिकेट..क्रिकेट क्रिकेट   भारतीयों के चेहरे की मुस्कान क्रिकेट  भारत का अभिमान क्रिकेटर  चर्चा का मुख्य विषय किक्रेट  क्रिकेट की शान चौके - छक्के भारतीयों के महानायक किक्रेटर  कांधे क्रिकेटरों के भारत का सम्मान   लेते रहो कैच ,और धुआंधार विकेट गली- मोहल्ले,घर- घर का जुनून  किक्रेट  कानों में गूंजती आवाज  विराट कोहली,  मोहम्मद शामी, ईशान किशन, जैसे सभी नाम  किक्रेटर जब खेलते किक्रेट बढ जाती आंखों की चमक  निगाहों में बसते ,दुआओं में सदा रहते किक्रेटर  भारत के लिए खेलते ,भारत की पहचान बढाते किक्रेटर  विशवपटल पर भारत  का गौरव बढाते किक्रेटर  .... किक्रेट का खेल भारत की पहचान, भारत का अभिमान.....

दीपावली

 जगमगाती रही , निशा दीपों वाली  खुशियों भरी सौगात दीपावली  आगमन श्री राम जानकी ,लक्ष्मण  स्वागत में सजे घर- आंगन. द्वारे- द्वारे  श्री विष्णु, लक्ष्मी जी आप पधारे आरती उतारो थाल सजाओ. आंगन ,आंगन सुन्दर रंगोली बनाओ. खुशियों की सौगात दीपावली. मिष्ठानों का प्रसाद दीपावली  उपहारों का त्यौहार दीपावली  प्रेम और सौहार्द दीपावली  साकारात्मक ऊर्जा का संचार दीपावली  दीपावली पर प्रेम बढाओ  परस्पर प्रेम से एक दूजे पर सौहार्द लुटाओ.... कुम्हार से मिट्टी के दीपक घर ले आओ  घर- आंगन दीपों का प्रकाश फैलाओ 

सुबह सवेरे

 सुबह सवेरे घर का द्वार जब खोला  लगा, प्रकृति भी बोल रही है,आनन्द का सिंधु धरा को दे रही है  ठंडी हवा का झोंका मानों बोल रहा था ,आओ सांसो में  ताजगी भर लो , आंखो से प्रकृति का आनन्द ले लो  वृक्षों की डालियां झूम रही हैं ,झूम- झूम  के तन को भी सहला रही हैं,मन को खूब भा रही हैं,पौधों पर ओस की बूंदें मोती सम सज रही हैं .. खिली - खिली धूप का उजाला ,मन में नव ऊर्जा भर रहा.है , नव दिवस का नव सवेरा मन में उत्साह भर रहा है. कुछ नव नूतन करने को प्रेरित कर रहा है. पक्षियों की चहचहाहट कानों.में मधुर संगीत घोल रही हैं .. प्रकृति भी अपने रहस्य खोल रही है , वसुन्धरा पर अपना प्यार लुटा रही है जीवन का मतलब दे रही है  प्रकृति ही वसुन्धरा का श्रृंगार  प्रकृति ही वसुंधरा का आधार  प्रकृति से बागों में बहार. वसुन्धरा पर.प्रकृति का संसार   प्रकृति जीवन का आधार.  प्रकृति से भरपूर  आनन्द. प्रकृति से समृध् रहे संसार  प्रकृति जीवन का आधार....

उम्मीद

 आवश्यकता से अधिक उम्मीद दूसरों से  , आपको बेसहारा बना सकती है ..... उम्मीद अगर स्वयं से हो तो वह ताकत बन जाती है  उम्मीद जब दूसरों से हो तो कमजोरी बन जाती है ...  किसी के मन में आशा की किरण जगा कर , उम्मीद की जाये तो वह आत्मविश्वास बन जाता है ।

अच्छाई

 समुद्र में कंकङ भी हैं ,मोती भी हैं  कोयले की खान में कोयला भी है, हीरे भी हैं इसी तरह संसार में अच्छाई भी है ,बुराई भी हैं बुराई जो बहुतायत में दिखती है, ऐसा नहीं  अच्छाई कम है ,अच्छाई भी बहुतायत में है  किन्तु, बुराई के अंधेरे काले धुऐं के कारण  अच्छाई नजर नहीं आती ..हल्का सा धुआं  छंटा अच्छाई ही अच्छाई... बुराई  के अस्त्र प्रताड़ित करते हैं मनोबल कमजोर भी  करते हैं ...यहीं सब रहस्य छिपे हुए हैं ..सह जाओ प्रताड़ित  होकर टूटना नहीं ..काला धुआं छटते ही ,उजाला ही उजाला है ...

स्वदेश का स्वाभिमान

हम.शुद्ध स्वदेशी हैं ,हम मिट्टी के दीपक हैं, हम अंधेरे में उजाले की चमक हैं  कुम्हार के आंखों की चमक हैं ..हम कुम्हार के हाथों की मेहनत हैं ,हम.स्वदेश का स्वाभिमान हैं ..हम.मिट्टी के दीपक चकाचौंध से दूर.भीतर एक उजाला लिए बैठे होते हैं ...हममें गुरूर है.. भारत का स्वाभिमान हैं..     

त्यौहार

 त्यौहारों का मौसम !*** प्रत्येक त्यौहार स्वयं में विषेशता का प्रतीक चिन्ह समेटे हुये होते हैं ....त्यौहारों में गहरे संदेश छिपे होते हैं ....अपनी विषेशताओं के कारण त्यौहार युगों- युगों तक अपनी छाप छोङने में कामयाब  रहते हैं । संस्कृति,परम्परा और संस्कारों का संगम ....त्यौहार  परम्पराओं  के कुछ महत्वपूर्ण संस्कार... संसकारों की कुछ  आवश्यक रीतें ..जो जीवन में एक नयी राह, एक नयी,उम्मीद, नये रंग और उत्साह भर दे ....बेजोङ हैं यह परम्परायें ,यह संस्कार... त्यौहार जीवन में आनन्द और उत्साह भर देते हैं .. जीवन में नया रंग ,नया उत्साह भर एक नयी ,उर्जा भरने का काम  करते हैं त्यौहार... त्यौहार मात्र परम्परा ही नहीं....त्यौहार सत्य कथानक पर आधारित जीवन का महत्वपूर्ण आनन्द और सभ्यता को स्वयं में समेटे होते हैं ... त्यौहारों अच्छाई और सच्चाई का भी प्रतीक होते हैं ...तभी तो त्यौहारों पर तन- मन की स्वच्छता के संग अच्छे वस्त्रों घर की आंगन की साज -सज्जा का भी ध्यान रखा जाता है ... क्योंकि उन दिनों हम अपना सामीप्य महसूस करते है ...उन्हीं के स्वागत में बहुत तैयारियां की जाती हैं ... अतः त्यौहार, यानि जी

सुनहरी भाषा

 परिचय मेरा बस यही  निशब्द, शब्दों की सुनहरी भाषा  छोटी सी डिबिया में बङी अभिलाषा  खुलते ही डिबिया निकले बङी -बङी आशा  निशब्द, शब्दों की सुनहरी भाषा  कही पर अनकही ... मौन फिर भी ... बहुत कुछ कहती अद्भुत अभिलाषा  गति सीमित, उङान भरती..फिर  थम जाती  फिर उङान भरती... दिन- प्रतिदिन उङान   विकसित  करती ...जानने को सारा जहां .. विस्मित, अचंभित, अद्भुत, अकल्पनीय  परिचय से दिव्यता को धारण करती  निशब्द, शब्दों की सुनहरी भाषा. सीमित गतिविधियों में अद्भुत गतिमान  अपनी उङान भरती मन की आशा  संकल्पों से सिद्ध करती ,ज्ञान, विज्ञान के रहस्यों  पर अपनी पैनी नजर से ,अद्भूत चमत्कार करती  दिव्य भाषा ..मन के भीतर की आलौकिक भाषा ... भाषा जो कुछ ना कहकर भी कह जाती मन की आशा  निशब्द, शब्दों की सुनहरी भाषा ...

संसार

माना की यह संसार हमारा है  जीने का आधार हमारा है  जहाज में संसार सागर के हम वृहद  की सैर करते हैं ... यह तो बहुत ही न्यारा है  दृश्य बहुत ही प्यारा है  नदियों में प्रवाहित कल- कल जल है आकाश भी सुनाता कहानी है  टिमटिम चमकते सितारे हैं  कहते कुछ जुबानी हैं  वृक्षों की ऊंची कतारें हैं , मीठे फलों का अमृत है  खेतों में अन्न की खेती है  जीविका की अद्भुत कहानी है  जीवन को सारे साधन हैं  मुस्कराने को प्रकृति प्रफुल्लित है ... महकाने को सुगन्धित पुष्प हैं पर्वतों की ऊंची चोटियों में श्वेत हिम की चादर है ..स्वर्णिम श्वेत किरणों से भव्यतम, अद्भुत दृश्यम है सोचने को सुन्दर सपने हैं  जाना की संसार हमारा है.. जीने का आधार हमारा है