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Showing posts from December 1, 2021

कायनात

सारी कायनात का मालिक है तेरा क्यों दर ब दर भटकता है  जो उसका है वो तेरा है  क्यों उससे जुदा होकर  फकीरों ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌सी ज़िन्दगी बसर करता है  दुनियां में सबसे अमीर हो जायेगा  है‌ , क्यों बूंद बनकर बरसता है  माना की गुलाब पर मोती बनकर चमकता है  धूप में भाप से अपना अस्तित्व पल में खत्म करता है‌  क्यों दर ब दर भटकता है समुन्दर तेरा अस्तित्व  सारा आकाश ही तेरा है तेरा वजूद चांद - तारों से रोशन हुआ करता है ।