आओ प्रकृति संग अपना वक्त बितायें हम आओ पुष्पों संग - संग थोड़ा मुस्करायें हम प्रकृति को निहारें ..प्रकृति के दिलकश सौन्दर्य में खो जाये हम आओ थोङा मुस्करायें हम बागों में पुष्प खिलते हैं हमारे लिए ही तो हैॅ प्राकृतिक सौंदर्य हमारे लिए ही तो है तो फिर क्यों ना इससे प्यार करें हम प्रकृति को निहारें संरक्षण करें पुष्पों के बगीचे में महकते पुष्पों की सुगंध में गुनगुनाये कभी ध्यान से सुने ..कल- कल बहते जल का संगीत बैठ नदिया किनारे गीत गुनगुनाएं यदा-कदा नाचे मन मयूर हरियाली में कभी बागों में हरी घास पर विहार करें कभी ऊंचे पहाडों पर चले जायें नहीं पहुंच सकते तो ,मन की उङान भरें और पहुंच जायें कहीं परियों के देश में जहां मन्द शीतल हवा बहती हो रंग- बिरंगी तितलियां विभोर करती हों जहां सब रमणीय हों ....सबके ह्दय में प्रेम के समुंद्र की लहरें उछाले मारती हों ... पक्षियों की चहचहाहट मधुर संगीत के सुर जब वसुन्धरा अपनी इतनी भव्य है तो फिर क्यों उदास रहें हम अतृप्त रहे हम ...आओ प्रकृति संग अपना वक बिता...