मैं जानती हूं.... उसको लिख पाना मुश्किल है जिसने मुझे लिखा है। फिर भी चाह जागी है, मन में.. मैं उस पर कुछ तो लिखूं इससे पहले कि मैं,उस पर कुछ लिखूं - - मैं शब्द बुन भी नहीं पाती वो मुझ पर कुछ नया लिख देता है... वो मेरे चेहरे पर खुशी बनकर मुस्कराता है वो मेरे लबों पर गीत बनकर आ ही जाता है मैं उसको गुनगुनाना चाहती हूं गीत खुशी के गाना चाहती हूं। मैं जानती हूं.. वो मेरे भावों में है मेरे विचारों में है वो मेरे चेहरे की हर खुशी मे है मेरी सफलताओं के हर कदम में है उसके ही आशीषों से, दुआओं से उन्नति है मेरी.. आज जो कुछ भी हूँ मेरे ऊपर उसका ही साया है. वो मेरा हमसाया जिसने हर परिस्थिति में मेरा साथ निभाया है।