Skip to main content

Posts

Showing posts from December, 2023

नव वर्ष

नव नूतन वर्ष, दिल में प्रस्फुटित हर्ष  नयी उमंग का नया - नया सा स्पर्श  नव वर्ष में खुशियाँ हों सबके समदर्श मुस्करायें आप सभी वसुंधरा से अर्श  शुभ मंगल हों सभी दिशायें शुभ का हो दर्श 

श्रीराम, रामचरितमानस

रामचरित मानस युगों - युगों से भारतीयों का धार्मिक ग्रंथ है  राम श्रद्धा हैं, तो रामायण भक्ति है  रामायण है तो अयोध्या भी है श्री राम हैं, अयोध्या है, तो फिर अयोध्या में राम मंदिर का होना भी निश्चित है राम मंदिर पर राजनीति की आवश्यकता नहीं..  श्री राम का जीवन चरित्र  बाल्यकाल से प्रेरणादायक चरित्र बनकर  भारतीय संस्कृति में संस्कारों में अपना  अपनी अमिट छाप बनकर बसने लगता है  राम शाश्वत हैं, श्री राम सत्य हैं  श्रीराम भारतीयता का अभिन्न अंग  या यूं कहियें अभिन्न अंग हैं  श्री राम भारतीयों की आस्था का मूलमंत्र है श्रीराम भारतीयों के श्वास एवं प्राण हैं  एक काल आया था राम मंदिर के नामोनिशान मिटाने का  युद्ध स्तर की पीड़ा सही भारतीयों ने,,,  एक युग फिर आया, सत्य की जीत हुयी  राम शाश्वत हैं, सत्य हैं,  सनातन हैं  राम नाम की उपस्थिति फिर से अपना परचम लहरायेगी अयोध्या के राम मंदिर में, बधाईयाँ अयोध्या में फिर से  दीपों वाली रात आयी... 

Good Thinker मन की सुन्दरता

  #सोचता तो हर पल कोई ना कोई कुछ ना कुछ रहता ही है ....फिर क्यों ना अपनी सोच  को सही सोच की तरफ मोड़ें सामने ऊंचे पहाड़ या गहरी खाई आ जाये तो क्या आप रुक जायेगें .... आप ही को बदलना पढेगा अपनी सोच को अपनी राहों को ... नहीं बदलोगे तो जिन्दगी भर रोते रहो ...या फिर बदल लो अपने रास्तों को ..और बढ जाओ आगे की ओर...   **** जब-जब हमारी गाङी गलत मोङो की तरफ मुङने लगे....तुरन्त अपनी सोच के स्टेयरिंग को सही.दिशा की ओर मोङ  दीजिए.... चाइस हमारी है.. हम कौन सी राह चुनते हैं.....। सुन्दरता तो मन की ही होती है ,तन का क्या समय के साथ  परिवर्तनशील है ..  मन सुन्दर हो तो वो सुन्दर विचारों को जन्म देता है ..जिससे समाज को सकारात्मक संदेश मिलते हैं ।  चेहरे या किसी वस्तु को सुन्दर रुप दिया जा सकता ..... ,बाहरी सुन्दतार सिर्फ आकरषण मात्र भी हो सकता है ...पर  अन्दर  से खोखला ...बहुतायत  ऐसा बहुत कम होता है कि जो बाहर  से सुन्दर  हो भीतर सभी सुन्दर  हो ...।   कथात्मक....#  सुन बसंती तुझे पता है ...   बसंती :- क्या कह रही है कमला .. तू कुछ बतायेगा तभी तो मुझे कुछ  पता लगेगा ... मैं तो सारा दिन घर पर रहती हूं ..

कल आज और कल

 यात्रा ..... यात्रा:- अपने -अपने जीवन में यात्रा तो सभी करते हैं ... साईकिल:- मेरे कुछ अनुभव बचपन से लेकर अभी तक की यात्रा के ..... साईकिल:- बचपन की सबसे पहली स्वतंत्र यात्रा ..साईकिल..दो पहियों पर पैडिल के सहारे चलती ... खुले आकाश तले खुली हवा में सांस लेते एक जगह से दूसरी जगह जाने की यात्रा ..बङी ही विचित्र, सुविधापूर्ण साईकिल की यात्रा ...  तांगा:-  सौभाग्य से हमने तांगे की सवारी भी की है ...घोङे की चाल पर चलती ...घोडा गाङी ,यानि तांगा ... घोङा जब चलता है ,उसके पैरों के नीचे लगी लोहे की नाल ... उस पर घोङे की मस्तानी चाल ,और एक धुन पर चलती टक- टक की आवाज ... आज भी वो आवाज कानों में मधुर संगीत घोलती है ... इसका भी अलग ही मजा था । बस.... बस में बैठने का भी आनन्द अलग ही है .. कई सारे लोगों की भीङ में यात्रा करने का अपना अलग ही आनन्द है... कहीं कोई मूंगफली खाता ..कहीं कोई बच्चा चिप्स खाता ...एक ड्राइवर इतने सारे लोगों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाता ...बस का सफर भी स्मरणीय रहेगा ।  ट्रेन... वाह! वाह! वाह!  ट्रेन  का सफर यादगार लम्हें , मानों सफर के संग पिकनिक जैसा माहौल ,पारिवारिक सदस्य

दिल की बातें

मैं अपने दिल की कहती हूं  वो सबके दिल की हो जाती  मेरी बातों के दरिया में  सभी गोते लगाते हैं  ना जाने कौन सा सुख वो मेरी बातों में, पाते हैं  मेरे दिल पर जो बीती है  मुझे सबको सुनानी है । जाने कौन सी बात मेरे चेहरे पर लिखी है  मैं कुछ बोल ही पाती  वो सब समझ जाते  क्या वो मेरी बातों को  बिन बोले समझ जाते । मेरे दिल पर जो बीती  है  किसी पर ओर ना बीते  इससे पहले ही मैं सबको यही बताती  हूं  थोङा ठहरो, जरा समझो मेरी बातों को तुम अपनों शायद तुम सम्भल जाओ ,मैं डर- डर कर कहती हूं  जो मेरी कहानी है , कहानी वो ना तुम्हारी हो इसीलिए, मैं अपने दिल की कहती हूं कि, तुम भी समझ जाओ ,ठेङी- मेङी राहों पर  गिरने से सम्भल जाओ,  मैं अपने दिल की कहती हूं  तो सबके दिल की हो जाती ।