शुभ मंगल होती सभी दिशाऐं भारत भूमि की विषेशताऐं अमिय जल निर्मल सरिताऐं विभिन्नता में एकता की परिभाषाऐं सभ्य संस्कारों की कथाऐं संस्कृति से ओत- प्रोत वेद ऋचाएं रक्षा को अडिग भुजाऐ फैलाऐं खड़ी हिम शिखाऐं फलों - फूलों से लदी वृक्षों की लताऐं रक्षाप्रहरी बन अडिग खड़ी चट्टान बालाऐं भारत की क्या बात कहूँ जो भी कहूँ मैं दिल से कहूं भारत मेरी आत्मा भारत मेरा प्राण भारत मेरा अभिमान भारत मेरा सम्मान भारत भूमि की दिशाऐं पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण विभिन्नता में एकता की परिभाषाऐं स्वछंद. निर्भीक बलवान, देश प्रेम से ओत - प्रोत भारत भूमि की सभी दिशायें....