भारत वर्ष की विजय पताका सभ्यता संस्कृति की अद्भुत गाथा विश्व पटल पर शान से लहराती रही भारत भूमि की विजय पताका ... भारतवर्ष देश हमारा ...भा से भाता र से रमणीय त से तन्मय हो जाता जब- जब भारत के गुणगान मैं गाता देश हमारा नाम है भारत,यहां बसती है उच्च संस्कारों के संस्कृति की विरासत ..... वेद ,उपनिषद, सांख्यशास्त्र, अर्थशास्त्र के विद्वान ज्ञाता देश मेरे भारत का है दिव्यता से प्राचीनतम नाता हिन्दुस्तान देश हमारा सोने की चिङिया कहलाता भा से भव्य,र से रमणीय त से तन्मय भारत का स्वर्णिम इतिहास बताता सरल स्वभाव मीठी वाणी.आध्यात्मिकता के गूंजते शंखनाद यहां अनेकता में एकता का प्रतीक भारत मेरा.देश यहां विभिन्न रंगों के मोती हैं ,फिर भी माला अपनी एक हैं। मेरे देश का अद्भुत वर्णन ,मेरी भारत माँ का मस्तक हिमालय के ताज से सुशोभित है. सरिताओं में बहता अमृत यहाँ,,जड़ी -बूटियों संजिवनियों का आलय प्रकृति के अद्भुत श्रृंगार से सुशोभित मेरा भारत देश महान , अपने देश की महिमा का क्या करूं व्याख्यान जी चाहे मैं हर जन्...