#सोचता तो हर पल कोई ना कोई कुछ ना कुछ रहता ही है ....फिर क्यों ना अपनी सोच को सही सोच की तरफ मोड़ें सामने ऊंचे पहाड़ या गहरी खाई आ जाये तो क्या आप रुक जायेगें .... आप ही को बदलना पढेगा अपनी सोच को अपनी राहों को ... नहीं बदलोगे तो जिन्दगी भर रोते रहो ...या फिर बदल लो अपने रास्तों को ..और बढ जाओ आगे की ओर... **** जब-जब हमारी गाङी गलत मोङो की तरफ मुङने लगे....तुरन्त अपनी सोच के स्टेयरिंग को सही.दिशा की ओर मोङ दीजिए.... चाइस हमारी है.. हम कौन सी राह चुनते हैं.....। सुन्दरता तो मन की ही होती है ,तन का क्या समय के साथ परिवर्तनशील है .. मन सुन्दर हो तो वो सुन्दर विचारों को जन्म देता है ..जिससे समाज को सकारात्मक संदेश मिलते हैं । चेहरे या किसी वस्तु को सुन्दर रुप दिया जा सकता ..... ,बाहरी सुन्दतार सिर्फ आकरषण मात्र भी हो सकता है ...पर अन्दर से खोखला ...बहुतायत ऐसा बहुत कम होता है कि जो बाहर से सुन्दर हो भीतर सभी सुन्दर हो ...। कथात्मक....# सुन बसंती तुझे पता है ... बसंती :- क्या कह रही है कमल...