सादगी का श्रृंगार हो अनुशासन का आधार हो मन में जब हो सौंदर्य भरा रूप में जाये तेज उतर स्वर सृजन बने कोकिला ! ्फ़रिश्तों ने सुन्दर सा रुप धरा स्वयं अवतरित हुई मां शारदा संग संगीत अमृत रस कलश भरा छलक- छलक गीतों में अमिय भरा गीतों की लता की बेल पर हर गीत में अमृत भरा धन्य हुयी भारत धरा गीतों में बसी मां शारदा ! सुर मलिका स्वर अलंकार हो तुम गीतों की बहार हो राग मेघ मल्हार हो सातों सुरों का साथ हो ! छेड़े दिलों के तार हो स्वर कोकिला कंठ माधुरी तुम सरस्वती तुम भगवती तुम दिव्यता का स्वरूप हो तुम ठंडी छांव की धूप हो ! तुम ओज हो परमात्मा की खोज हो संगीत का हर साज हो सदा करती रहोगी दिलों पर राज तुम तुम सादगी की प्रतिमूर्ति अभ्यास से बनी खा...