जीरो से हीरो तक का सफर - - जीरो तो वो कभी था ही नहीं, एक हीरो उसमें हमेशा जीता था। सपने तो सभी देखते हैं, लेकिन सपनों का क्या ? उसने भी सपना देखा होगा, नींद खुली तो सपना टूट गया। क्या हुआ, कुछ भी नहीं, सपनों का तो यही हाल होता है, नीद खुली, हकीकत की धरातल पर जब पैर पडे तो सब भूल गये, सपना यादों के किसी पिटारे में बंद हो गया। हर सपना सच हो जाये सम्भव ही नहीं, मन के ख्यालों की उडान को पकड़ना इतना आसान भी नहीं, मन के पंख तो सपनों की उड़ान भरेंगे ही, उड़ने दो मन परिंदे को, लौट कर तो यहीं वापिस आना पड़ेगा । लेकिन मन की उड़ान से कोई हीरो तो नहीं बनता, प्रयासों का सिलसिला जारी रखना पड़ता है, प्रयास कुछ अधूरे कुछ पूरे. सफलता की राह दिखाते पर मंजिल का पता नहीं..