विजयदशमी- विजय की दशमी त्रेता युग में आज ही के दिन श्रीराम ने अत्याचारी,अंहकार रावण को मार बुराई का अंत किया था... तभी से आज ही के दिन अश्विनी मास की कृष्ण पक्ष की दशमी को.... दस सिरों वाले राक्षस रावण को मारने की परम्परा चली आ रही है.... रावण, मेघनाद, कुम्भकर्ण के पुतले तो हर वर्ष जलाये जाते हैं जलाने वालों में वो लोग शामिल होते है जिनके मनों में स्वयं असंख्य रावण रुपी विकार घर बनाये बैठे होते हैं..... अब आवश्यकता है, मन में पल रहे लोभ इर्ष्या,द्वेष, अंहकार रुपी विकारों के रावणों को मारने की..... हर वर्ष पुतले जलाकर पर्व मनाना स्वयं को याद दिलाना मनाना अच्छी बात है.. खुशी तब होगी जब मन के विकार रुपी रावणों का अंत होगा....