मेघों का बसेरा पर्वतों की शिखाओं पर किया मेघों ने बसेरा नयनों को आनंद देता है यह दृश्य प्यारा वर्षा ऋतुराज प्रकृति ने फिर सजाया साज वर्षा ऋतु की फुहार पर्वतों की शिखाओं में कोहरे ने सजायी है बारात नाचता -खेलता अठखेलियाँ करता कोहरा मनमोहक आकृतियां बनाता मन को लुभाता बादलों का समूह वसुन्धरा पर आकर्षित अपना प्रेम लुटाता ओस के नन्हें कण मानों मोती बन केशों पर खूब इठलाते और कहते देखो हम तुम्हारे लिए आसमान से जमीं पर उतर आये अश्रु बन तुम पर प्यार लुटाये ओह ! आसमान में काले बादल घिर आये आज फिर जी भर के बरसेगें बादल काली घटाओं ने है घेरा डाला वो देखो बिजली चमकी लगता है वसुन्धरा को तपता देख आज फिर नील गगन गुस्साया है बरसेगें बादल जी भर के उसके अंक में बेहद का जल जो समाया है .. बरसी आसमान से वर्षा हरी- भरी हुई प्रकृति हरियाली चहूं और तृप्त नदियां जलाशय चहूं ओर पक्षी चहकते कोयल के मधुर स्वर मन को हर्षाते वर्षा ऋतु की फुहार आ गयी फिर से बहार आयी .... मस्ती की खुशियां घुमङ-घुमङ बरस आयी ..