समुद्र में कंकङ भी हैं ,मोती भी हैं कोयले की खान में कोयला भी है, हीरे भी हैं इसी तरह संसार में अच्छाई भी है ,बुराई भी हैं बुराई जो बहुतायत में दिखती है, ऐसा नहीं अच्छाई कम है ,अच्छाई भी बहुतायत में है किन्तु, बुराई के अंधेरे काले धुऐं के कारण अच्छाई नजर नहीं आती ..हल्का सा धुआं छंटा अच्छाई ही अच्छाई... बुराई के अस्त्र प्रताड़ित करते हैं मनोबल कमजोर भी करते हैं ...यहीं सब रहस्य छिपे हुए हैं ..सह जाओ प्रताड़ित होकर टूटना नहीं ..काला धुआं छटते ही ,उजाला ही उजाला है ...