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Showing posts from June, 2023

सुन्दर प्रकृति

 

चालक की चतुरता

एक रथ के चार पहिये  सबको चालक के इशारे  पर चलना ही.पढता है  एक पहिया अगर ना चले अपनी.मनमानी करे तो सब  कुछ अव्यवस्थित हो जाता है  दुर्घटना अवश्य भावी होगी  फिर नुकसान  किसी एक का नहीं  सभी का होगा  इसी तरह अगर आप चाहते हैं कि  आपकी गाङी सुचारू चले तो एक जुट होकर  रहिए  किसी भी चलने वाली आगे बढने वाली  चीज का पारुप संगठन है अति उत्तम  है  चालक की चतुरता स्थिति को देखते हुए   वाहन  की गति सम्भावना  एक विशाल वृक्ष का अस्तित्व भी संगठन से ही सम्बंधित हैं जङों का बङा समूह.विशाल काय तना  उस पर अनगिनत शाखाएं मिलकर  ही  वृक्ष कहलाती हैं परिवार भी एकजुटता में ही निहित है अगर. आप चाहते हो आपके जीवन के रथ के परिवार की रफ्तार  सुचारू रहे तो समय- समय पर निरीक्षण कीजिये  तभी आप तरक्की की उन्नति की ऊंचाइयों पर पहुंच  सकते हैं . पहिये की रफ्तार  चालक ही संभालता है  अपने चालक पर विश्वास  रखिये  जो चालक बना है वो अपने रथ के  पहिये कभी डगमगाने नहीं देगा  .......  

अतिथि आगमन

 ऋषिकेश त्रिवेणी घाट का सौन्दर्यीकरण   अतिथि देवो भवः , अतिथियों तुम अक्सर  आते - जाते रहा करो ... तुम्हारे बहाने बहुत कुछ   सुधर जाता है व्यवस्था सुव्यवस्थित हो जाती है  टूटी- फूटी सङकें गढढों से भरी  टुक्की ही सही मरम्मत हो जाती हैं बेशक तेज बारिश  या किन्ह भारी  वाहनों के गुजरने से सङकें  फिर से उसी स्थिति में आ दुर्घटना का कारण  बनने लगती  हैं ...लेकिन  कुछ समय के लिए   अच्छा लगता है ..अतिथि सत्कार  की परम्परा.. पर अतिथियों तुम आते रहा करो  कुछ  तो सुव्यवस्थित हो ही जाता है  स्वादिष्ट पकवान  नये परिधान..  भई अच्छा तो लगता है माना कि बजट  थोङा डगमगा जाता है ... फिर भी सभ्य  अतिथियों  के आगमन  से उनका रंग हम पर भी चढ जाता है  मन प्रफुल्लित हो जाता है ..कुछ  उपहार दिये जाते हैं  कुछ  उपहार  मिलते भी हैं ... अतिथियों तुम आते- जाते रहा करो  हम सभ्य संस्कारित और सयाने हो जाते हैं ...  

नया उत्साह

 नया दिन नयी शुरुआत  मन में भर उत्साह  आज फिर  खोली है किताब  कुछ  नया कुछ  पढने की चाह  मन में उत्साह भर कहीं कोई प्रेरणा दे जाये  एक अध्याय खोजने की चाह. कुछ  नया कर दिखाने के सपने  मिल जाये कोई नयी राह  सुगम हो सुगामी सभ्यता की निशानी हो  उम्मीद  हमारे हैं तो पंख भी हमारे ही होंगे  ऐसे कोई  शुभ विचार  जो जीवन  का कर दें उद्धार  उमंगों की नयी उङान  छूना है जो नया आसमान  आज फिर  एक नया अध्याय लिखने की चाह   चाह  मेरी है तो भाव भी मेरे ही होगें  भावों में सच्चाई  की राह भी होगी  कोई मन में धीरे से आकर कह दे  चल उङं छूना है तुझे आसमान   फिर पंख मेरे फड़फङाये  और दूर उङ जाऊं आसमान में  नील गगन की छांव में  बादलों की ओट में  परियों की दुनियां से  सब पर भरपूर स्नेह लुटाऊं.... जी भर खुशियां लुटाऊं ..

योग साधना

योग करो हर रोज  रहोगे निरोगी  योग यानि साधना  तन को साधकर  मन को एकीकार करना तन का योग प्रणायाम   मन का योग ध्यान साधना  वाणी का योग उचित  शब्दों का प्रयोग   व्यवहार योग सभ्यता का परिचय  आचरण  की सभ्यता  संयम साधना व्यवहार कुशलता  समय का सदुपयोग  अति उत्तम  योग  मन की साधन आलस्य  को छोड़कर   तन की कर्मठता  प्राणायाम, प्राणवायु का उचित  प्रवाह   रक्त चाप का सुचारू ढंग से चलना  तन के जोङों में लचीलापन बने रहना  गठिया - बाई को बाय- बाय  मधुमेह की नों टेंशन   उम्र  का प्रभाव  कम होना योग से तन में स्फूर्ति बने रहना  उम्र  की ऐसी की तैसी  हर रोज करो योग  नहीं होगा कोई  मनोरोग  पाचन प्रक्रिया सुचारू होगा  चेहरे पर नूर  सेहत रहे भरपूर  ...

पापा आप हंसते हो तो हर दिन त्यौहार हो जाताहै

घर का वो शक्स यानि (पिता) पापा जी  घर के अन्य सदस्यों की अपेक्षा  अक्सर वो कम बोलता है !  बेफालतू की बातें करना उन्हें पसंद नहीं   वो बिना बात नहीं हंसता  घर के अन्य  सदस्य जब बिना बात  ठहाके लगाते हैं  मजाल है !  जो उसके चेहरे पर  हंसी आ जाये..उल्टा उन्हें  ही डांट देता है .. बच्चे अपने पापा को फुसफुसाते हुए गम्भीर सिंह .●मिलट्री  मेन,यहां तक की हिटलर भी कह देते हैं  कभी- कभी उस शख्स को खड़ूस भी कह जाता है -----' कभी किसी ने जानने की कोशिश की उस शख्स की गम्भीरता में छिपे दवाब को .पहचानने की ...नहीं ना ...काश की होती  समय कहां उसके पास बेफालतू में हंसने    वो चिंतित रहता है परिवार के लोगों के भविष्य  के लिए ..  अच्छे से अच्छा सुविधापूर्ण जीवन देने के लिए  ...  अब फर्ज  हमारा बनता है घर के अन्य सदस्यों का..  घर के! *मुखिया पापा* को खुश रखने का उन्हें हंसाने का ! माना थोङा अकङ  दिखाएगें ..पर अपने परिवार की खातिर   पापा भी ठहाके लगाकर हंस जायेगा क्योंकि पापा अकङू नहीं  ऐसा लगता है एक ही काम को करते- करते मानों पापा अब उसी दुनियां में रच- बस गये हैं ..उनकी रीढ की हड्डी में  लचीलापन कम

मां तुम भी ना ..

.. मां तुम  सब छिपा कर रख देती हो  मां तुम्हारी रखी कोई  चीज तो हमें मिलती नहीं  पता नहीं कौन से कोने में छिपा देती हो  मां कहती है ..!   कभी कुछ सही जगह पर तो रखा है तुमने ऐसा करो एक नजर का चश्मा लगवा लो ! उम्र तो मेरी बढ रही है  !  .इतने में पापा खिसियाए   बोले क्यों डांटती हो मेरी बेटी को ..जरुरत  पढने पर  मुझे भी तो कहां मिलती है तुम्हरी रखी कोई  चीज ~~~~ मां << बोली दोनों बाप बेटी एक जैसे हो कभी कुछ  सही जगह पर रखा हो तो बताओ सब कुछ  अस्त-व्यस्त सा पढा रहता है  मैं ना सम्भालूं कोई  चीज तो कबाङी का घर लगेगा  बेटी पापा को देख ..अब क्या करूं पापा  पापा मन ही मन इशारे से मम्मी को मना  क्यों बिन बात उलझती है मां से.. सारा घर  सम्भालती है ..बहुत बढा मैनेजमेंट है गृह कार्यों  का मेनेजमेंट आसान नहीं ..घर के प्रत्येक सदस्य की  विभिन्न  जरुरतों को पूरा करते- करते मां अपना ख्याल तो  रखना भूल जाती है ..घर के प्रत्येक सदस्य सुव्यवस्थित सुविधा  देने हेतु स्वयं अव्यवस्थित सा जीवन जी लेती है .वो मां है कुछ   कहती नहीं ..सबकी सुनती है ..पर अपनी कहना तो भूल  जाती है..वो मां है सबके  ख्याल में

चल चलाचल

चल चलाचल  चलाचल  आगे की ओर तू बढा चल  समय की रफ्तार के संग बहा चल  किन्तु भेङ चाल ना बनाकर   कदम वही बढाना ,जो सुगामी हो  बुद्धि का सदुपयोग भी करते रहना   चलना है बस आगे की ओर.. पीछे से  सबक भी तू लेते रहना.. भूल ना जाना उन राहों को जिन पर  चलकर चलना सीखा तूने .. आगे की ओर बढना सीखा तूने चल चलाचल चल चलाचल  आगे की ओर बढा चल  नये अनुभवों का ताना - बाना जीवन  है माना आना जाना  फिर  भी कुछ अच्छे कर्मो के निशान तू छोङ चलाचल  गया वक्त  लौटकर नहीं आता पर सफर पर है तू .. आंनद ले नयनों के केनवास पर संजो ले बेहतरीन पल  पलकों के दरवाजे में बंद करके यादों के झरोखों से  दिल बहला लेना उन बेहतरीन पलों को याद  करके  उन पर चलते रहना कभी मत छोडना सफर .. पर फिर शाम को घर लौट के आना .. अपनों के संग थोङा हंसना गाना जीवन  के अनुभव  बांट लेना  धीरे- धीरे ही सही कुछ - कुछ  कदम आगे की  और बढाते रहना ..रुक गये तो विकार आ जायेगें  आलस अपने मायाजाल से घेर लेगा  फिर आगे बढना इतना आसान ना होगा  उलझनों की गांठें खोलते-खोलते समय अपनी  रफ्तार के साथ आगे बढ जायेगा ..इसलिए   समय की रफ्तार  के साथ  आगे की ओर बढते रहना  ग

मेरी जङों ने मुझे समभाल रखा है

  " मेरी जड़ों ने मुझे सम्भाल रखा है "             "मेरी जड़ों ने मुझे सम्भाल रखा है "                         ******      *        *********************      मेरी जड़ों से मेरी खूबसूरती है      मेरे माली का ,शुक्रिया जिसनें      मेरे बीजों को पौष्टिक खाद दी,      मुझे जल से सींचा, सूर्य ने मेरे तेज      को बढ़ाया ।          मैं जो आज बाग़ बगीचों में      कहीं किसी की क्यारियोँ में      घरों के आँगन की खूबसूरती      बड़ा रहा हूँ ,कि मेरी जड़ों ने मुझे      सम्भाल रखा है ।वरना  मैं तो      कब का बिखर गया होता ।                मेरे स्वभाव में एक आकर्षण है      जो सभी को अपनी और आकर्षित      कर लेता हूँ । मेरी कई प्रजातियाँ हैं      मेरा हर रंग ,हर रूप सहज ही      आकर्षक है ।      मेरी महक पवन संग-मिल कर      वातावरण महकाती है,मुझसे      प्राण वायु भी है ।      मुझसे इत्र भी बनाई जाती है      मैं प्रेम प्यार का  प्रतीक हूँ ।      मित्रता आपसी भाईचारे में भी      प्रेम की डोर बाँधने के लिये      मैं सम्मानित होता हूँ ।      ख़ुशी हो या ग़म मैं हर स्थान पर      उपयोग होता हूँ ।