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अतिथि आगमन

 ऋषिकेश त्रिवेणी घाट का सौन्दर्यीकरण  

अतिथि देवो भवः , अतिथियों तुम अक्सर 

आते - जाते रहा करो ... तुम्हारे बहाने बहुत कुछ  

सुधर जाता है व्यवस्था सुव्यवस्थित हो जाती है 

टूटी- फूटी सङकें गढढों से भरी 
टुक्की ही सही मरम्मत हो जाती हैं
बेशक तेज बारिश  या किन्ह भारी 
वाहनों के गुजरने से सङकें  फिर से
उसी स्थिति में आ दुर्घटना का कारण 
बनने लगती  हैं ...लेकिन  कुछ समय के लिए  
अच्छा लगता है ..अतिथि सत्कार  की परम्परा..
पर अतिथियों तुम आते रहा करो 
कुछ  तो सुव्यवस्थित हो ही जाता है 
स्वादिष्ट पकवान  नये परिधान..
 भई अच्छा तो लगता है माना कि बजट 
थोङा डगमगा जाता है ... फिर भी सभ्य  अतिथियों 
के आगमन  से उनका रंग हम पर भी चढ जाता है 
मन प्रफुल्लित हो जाता है ..कुछ  उपहार दिये जाते हैं 
कुछ  उपहार  मिलते भी हैं ...
अतिथियों तुम आते- जाते रहा करो 
हम सभ्य संस्कारित और सयाने हो जाते हैं ...

 

Comments

  1. वाह! बहुत खूब रितु जी । अतिथि के आने से अच्छा तो लगता है ,कुछ समय के लिए ही सही वातावरण में बदलाव आ जाता है ।

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    Replies
    1. जी बिलकुल सही शुभा जी

      Delete

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