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Showing posts from January 10, 2022

पिछले पन्ने

 जिन्दगी की दौड़ में  उम्र के मोड़ पर निकल गया था बहुत आगे, आज यूं ही  फुर्सत के पलों में पलट गये   कुछ पिछले पन्ने याद आ गयी    पुरानी बातें सुनहरी यादें  कुछ गुदगुदाती कुछ मुस्कुराती  अल्हड़ पन की नादान शरारतें ‌‌ लूडो, कैरम ,छुपन- छुपायी,चोर- पुलिस  खेलने की नादान हसरतें  वो दिन भी कितने अच्छे थे  कितने सच्चे थे ,वही तो दिन थे  जब हम जीते थे जब हम बच्चे थे  कितने अच्छे थे, वही तो जीवन था जो जी लिया  वरना अब तो सिर्फ भाग रहे हैं जाने कौन  सी  प्रतिस्पर्धा में स्वयं भी नहीं जानते  बेहतरीन जीवन जीने की होड़ में जीना ही भूल गये ‌‌ गया वक्त लौटकर नहीं आता  सपने बस वो ही तो थे अपने  उन पन्नों में यादों की तिजोरी में  आज भी सम्भाली हुयी थी वो यादें  परियों के किस्से बचपन के रिश्ते  बड़ी खूबसूरत लगेगी बीती बातें  वो अनकही नादान बेफिक्र शरारतें  शरारतों में भी शराफत थी  किसी से ना कोई बगावत थी   मन की थकान को देने को आराम  ढूंढ निकाल लिया करो कुछ पल  याद करो कुछ बीते पल चेहरे पर मीठी सी खुशी   यूं तो भागती-दौड़ती जिन्दगी में  वक्त कहां किसी के पास पीछे मुड़ कर देखने का  फिर भी कभी थक जाओ  ऊब

हिंदी शाश्वत है सत्य की भाषा है..

क्यों मैं भटकूं दर ब दर अपनों के मध्य पाना है सर्वप्रथम आदर  क्योंकि मेरी जड़ों ने मुझे सम्भाला है  हिंदी का अस्तित्व शाश्वत एवं निराला है  हिंदी भाषा में ही मैंने सर्वप्रथम अपने भावों को ढाला है  भाषा पहचान है अस्तित्व है  भाषा अभिमान है शान है  हिन्दूस्तान ने मुझे पाला है हिंदी मातृभाषा ने ही मुझे सम्भाला है मेरे अस्तित्व को निखारा है  इतिहासकारों ने विचारों को हिंदी भाषा के माध्यम से अनेकों रुपों में संजोकर भविष्य की धरोहर बना डाला है  अनेकों ग्रन्थों को हिंदी भाषा में अपनी पहचान है  सभ्यता एवं संस्कृति का आधार  हिंदी मेरी प्रिय भाषा  मेरी पहली पसंद है  मेरी अपनी मातृभाषा हिंदी  हिंदी में जो बिंदी है  भाषा का श्रृंगार है ,रस अलंकारों छंदों का दिव्य आधार है  मेरे रोम-रोम में बसती हैं हिंदूस्तान की हवायें  मातृभूमि की फिजाओं ने‌ मुझे पाला हिंदीस्तान के ही गुण गाऊं‌  मुझमें रचता- बहता हिन्दुत्व  हिन्दू साहित्य और संस्कृति का सत्व  सर्वप्रथम हिंदी के गुण गाऊं...... हिंदी को विश्वपटल पर पहचान दिलाऊं .......