जिन्दगी की दौड़ में उम्र के मोड़ पर निकल गया था बहुत आगे, आज यूं ही फुर्सत के पलों में पलट गये कुछ पिछले पन्ने याद आ गयी पुरानी बातें सुनहरी यादें कुछ गुदगुदाती कुछ मुस्कुराती अल्हड़ पन की नादान शरारतें लूडो, कैरम ,छुपन- छुपायी,चोर- पुलिस खेलने की नादान हसरतें वो दिन भी कितने अच्छे थे कितने सच्चे थे ,वही तो दिन थे जब हम जीते थे जब हम बच्चे थे कितने अच्छे थे, वही तो जीवन था जो जी लिया वरना अब तो सिर्फ भाग रहे हैं जाने कौन सी प्रतिस्पर्धा में स्वयं भी नहीं जानते बेहतरीन जीवन जीने की होड़ में जीना ही भूल गये गया वक्त लौटकर नहीं आता सपने बस वो ही तो थे अपने उन पन्नों में यादों की तिजोरी में आज भी सम्भाली हुयी थी वो यादें परियों के किस्से बचपन के रिश्ते बड़ी खूबसूरत लगेगी बीती बातें वो अनकही नादान बेफिक्र शरारतें शरारतों में भी शराफत थी किसी से ना कोई बगावत थी मन की थकान को देने को आराम ढूंढ निकाल लिया करो कुछ पल...