अपनों के मध्य पाना है सर्वप्रथम आदर
क्योंकि मेरी जड़ों ने मुझे सम्भाला है
हिंदी का अस्तित्व शाश्वत एवं निराला है
हिंदी भाषा में ही मैंने सर्वप्रथम अपने भावों को ढाला है
भाषा पहचान है अस्तित्व है
भाषा अभिमान है शान है
हिन्दूस्तान ने मुझे पाला है
हिंदी मातृभाषा ने ही मुझे सम्भाला है
मेरे अस्तित्व को निखारा है
इतिहासकारों ने विचारों को हिंदी भाषा के माध्यम से
अनेकों रुपों में संजोकर भविष्य की धरोहर बना डाला है
अनेकों ग्रन्थों को हिंदी भाषा में अपनी पहचान है
सभ्यता एवं संस्कृति का आधार
हिंदी मेरी प्रिय भाषा
मेरी पहली पसंद है
मेरी अपनी मातृभाषा हिंदी
हिंदी में जो बिंदी है
भाषा का श्रृंगार है ,रस अलंकारों छंदों का दिव्य आधार है
मेरे रोम-रोम में बसती हैं हिंदूस्तान की हवायें
मातृभूमि की फिजाओं ने मुझे पाला
हिंदीस्तान के ही गुण गाऊं
मुझमें रचता- बहता हिन्दुत्व
हिन्दू साहित्य और संस्कृति का सत्व
सर्वप्रथम हिंदी के गुण गाऊं......
हिंदी को विश्वपटल पर पहचान दिलाऊं .......
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