परिचय... पात्र... बेटा नाम आकाश... पिताजी अवनीश कुमार... मां आरती देवी.... बेटा ....मां से मै बङा होकर वैज्ञानिक बनूँगा ... और चांद पर जाऊंगा ... मां ...मेरा प्यारा बेटा .... तुम्हें बहुत सारा आशीर्वाद...पहले तुम भोजन तो कर लो ...तभी तो होशियार बनोगे .... बेटा नाम आकाश.... खाने से होशियार ....मां काम को ध्यान से करूंगा तब उस चीज की बारीकियां समझूँगा तब होशियार बनूंगा .... मां ..नाम आरती .... बहुत बङा हो गया है तू ...गाङी भी तभी चलती है जब उसमें पेट्रोल डलता है.... मै जानती हूं मेरा बेटा बहुत मेहनती और लगनशील है.... तुम्हारी दृढ इच्छा-शक्ति तुम्हे चांद क्या अंतरिक्ष तक पहुंचायेगी .... पिता अवनीश.... बेटा तुम अपने काम पर ध्यान दो ...तुम्हारी मां तो तुम्हारी मां है ....इसे तो दिन - रात बस खाना ..खाना ही पता है ... आकाश...मां बस मेरा बारहवीं का परिक्षा पत्र आ जाये फिर तो मैं श्री हरिकोटा जाऊंगा .... मां ..आरती...हां बेटा जरूर जाना ...भगवान का आशीर्वाद तो बहुत जरूरी है .......