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Showing posts from April, 2023

रकम

 कर्मों की गुणवत्ता परखते रहिए   उसमें कर्मठता भरते रहिए   नित - नये अनुभव के साथ    ब्याज सहित नयी रकम हासिल  होगी   रकम से ज्यादा कर्म  महत्वपूर्ण हैं   अच्छे बीज अच्छी फसल ही देगी ..  वक्त  की कसौटी पर खरे उतरते रहिए   चाल- बाजों की चाल  पर जब वक्त  की  लाठी पङती है तो ,सारी चालाकियां  जाल बनकर  चालबाज  को ही फंसा देती हैं ..

मन की बात ..

मन की बात  ..  आदरणीय प्रधानमन्त्री जी से प्रेरित  होकर  हम भी शुरू करना चाहते हैं ..आपसे आपके मन की बात  ... माना की हमारा पद उतना बङा नहीं .. परन्तु कुछ  आप और  कुछ  मैं थोङा- थोङा सब जानते हैं .. आइये--- कहिए--  आप कुछ  कहना चाहतें हैं  तो कहिए  ... हम भी कोशिश करेगें ...  आपकी समस्याओं पर चर्चा  कर उसे सुलझाने की ... सच मानिये प्रेरित हूं ..माननीय  प्रधानमंत्री  की मन की बात से ... एक छोटा सा प्रयास  ..या ऐसे कई  छोटे- छोटे प्रयास  हम भी कर सकते हैं ...  हम सबके पास कुछ  ना कुछ  विशेष  जरुर है ... तो क्यों ना हम भी अपने- अपने मन की बात कर जीवन को आसान  बनाने की कोशिश  करें ... तैयार  हूं मैं आपके मन की पढने को ... बेझिझक  कहीए.. आप पूछ सकते हैं ..सवाल .. किन्तु सवालों में अभद्रता नहीं होनी चाहिए  ....

जेब खर्च

 आज फिर जेब खर्च की खनक ने ली अंगड़ाई है   सारे जहां की दौलत जेब  खर्च  में समायी है   मन की उमंगों ने की दौङ लगाई है  किसी ने मेहनताना तो, किसी ने नेक कमाया है   चेहरे पर  खुशियों की चमक रंग लाई  है   मानों खरीद  लेगें सारा जहां  सारा आसमान ही सिर पर उठाया है जेब खर्च का सरुर जो मन में छाया है   मन में बेफिक्र सा गरुर है  गरुर में अपनत्व  का एहसास  है  मेहनताने में से बांटा जो जेब खर्च है उसमें में  अपनेपन का एहसास है देकर खुशियां वो भी मुस्कराया  दोनों का दिल भर - भर आया है  जिसने जेब खर्च दिया है ,वही तो अपना खास है  मेरे चेहरे की रौनक  देख वो सूकून  पाता है  मुझे मुस्काते देख वो मन ही मन हर्षाता है  जेब खर्च तो बहाना है ,वो मुझे और मैं उसे  खुशियों रहने के देते बहाने  हैं  . वो मेरा अपना है यही मेरा सबसे बङा खजाना है  .. जेब खर्च  किसी अपने का दिया हुआ सबसे बङा तोहफा  है  उसी में तो छिपा सारे जहां के प्यार भरा अफसाना  है .. मेहनत से कमाया हुआ धन आत्मविश्वास का गुरूर  है .. मेहनत का सरुर है .

अर्जुन का लक्ष्य

कौन भटकायेगा हमें हमारी राहों से  हम सत्य प्रेम की करूणा की शिक्षा से शिक्षित हैं  श्रीकृष्ण के वंशज अर्जुन सा लक्ष्य रखते हैं  लक्ष्य हमारा सत्य धर्म है  ध्येय हमारा निस्वार्थ प्रेम है दुविधाओं से बचकर निकलना  हमारा नित नियम है .. लाख प्रलोभन मन को भटकाते  हैं .. कल किसने देखा भरमाते हैं .. हम भी बस मन ही मन मुस्कराते हैं  सत्य धर्म के रक्षक आज भी पूजे जाते हैं .. सुनकर  सबकी करते मन की हैं  विवेक की चाबी भी संग रखते हैं .. स्वार्थ  की राहें भरमाती हैं  हमें हमारे लक्ष्य  से डगमगाती हैं  हम भी द्रोणाचार्य के वंशज हैं  अर्जुन से शिष्य हैं एकलव्य से प्रेरित हैं कर्ण से दानवीर  हैं  भरें हैं कूट- कूट कर हम में भी  मर्यादापुरुषोत्तम, श्रीकृष्ण  भगवान के  चरित्र हैं .. कैसे टूट  जायेगें भीतर  है  बहुत  ठूके हैं ..तभी तो आज बाहर  से निखरे  हैं  कौन भटकायेगा हमें हमारी राहों से  सत्य  प्रेम की करूणार्द्र की शिक्षा से शिक्षित  हैं  प्राण जाये पर वचन ना जाये  सत्य कर्म ही पूजा से प्रेरित   स्वर्णिम साहित्य सम्पदा से मालामाल हैं .. गिरते हैं सम्भलते हैं सम्भल- सम्भल कर  अपने हौसलो बुलंद  करते ह

शहजादे

हम शहजादे हैं  प्रकृति मां के प्यारे  वसुंधरा मां के लाडले  प्रकृति से पालित- पोषित हंसते -गाते हैं नील गगन तले जीवन का वैभव पाते हैं आकाश  में असंख्य  तारे टिमटिमाते हैं  चंदा की चांदनी में शीततलता का सुख पाते हैं  आंखो को कितने प्रिय लगते हैं सारे  वसुंधरा पर अद्भुत नजारे हैं  प्रकृति से हमारे प्रिय नाते हैं प्रकृति ने हमें जी भर के वैभव दिया हैं  रहने को वसुनधरा का आसन दिया उङने को खुला आसमान है  शुभ भावों के भव्य समुंद्र का ज्ञान  दिया  विचारों के ऊंचे शिखर हैं  इस पार  से उस पार को  जाने को है धरा का भव्य  वैभव है  हरी- भरी वसुन्धरा पर जीवन को जीवंत  करती  अन्न प्रसाद अमृत जल का आधार  है .. क्यों ना करें हम प्रकृति का सम्मान   प्रकृति से ही हमने जीवन  का भव्य वैभव पाया .. प्रकृति से हम जीवंत है प्रकृति से समृद्ध हैं  प्रकृति मां के लाडले हैं  प्रकृति का संरक्षण  हम करते हैं ..

गंगा अवतरण दिवस की बधाई

शक्ति अवतार  प्रकृति उद्धार   थन्य- धन्य  हुआ जीवन   मां गंगा धरती पर उतरी  संजीवनी अमृत जल लायी  भक्तों का उद्धार करने आयी ...    

नव दिवस नव आगमन

  नव दिवस का नव आगमन   तन- मन को करके पावन  जैसे  आज फिर खिली है धूप  आज फिर धरा का निखरा है रूप   मन में भर शुभ  भावनाओ  का  शुभ  स्वरूप  पत्ता - पत्ता  डाली -डाली  झूम  रहें हैं ..शीतल  समीर मधुर  संगीत   प्रकृति की है रीत .. निस्वार्थ  भाव से  हर पल देती रहती है ..निरंतर आगे की ओर  बढने की प्रीत  मन को पावन करता झरनों का संगीत   ऊंचे- ऊंचे वृक्ष  सफलता की जीत   मीठे रस से सरोबार  वृक्षों पर झूलते फल  बीजों का महत्व  जानों और मानों  जैसे बीज  वैसे वृक्ष   जैसी सोच वैसा संसार   हमारे ही विचारों से रचा-बसा संसार  ... शुभ  व्यवहार शुभ  संस्कार  जीवन की अमूल्य  सम्पदा मान .. प्रकृति का कर सम्मान   इसी से मनुष्य  जीवन  की शान ..

अणु में परमाणु ...

वृहद का अपना महत्व है  सूक्ष्म की अपनी पहचान  .. आगे बढना कामयाबी की निशानी  ऊंचा  उठना चरित्रवान होने की निशानी है  आगे बढना यानि..दायरा बढा होना  ऊपर उठना ..यानि ऊचाइयां पाना  समस्त ब्रह्मांड  की सिद्धियां पाना ... आगे की ओर बहाव आवश्यक है ठहराव  के संग  ऊर्जा का विस्तार  होता है... विस्तार  की अपनी भूमिका है  विस्तार में गहराई  का होना भी महत्वपूर्ण  है विस्तार  से अधिक महत्वपूर्ण  सिमटना है  अणु में विराट का होना महत्वपूर्ण है ..

अंग्रेजी पतलून

यह मात्र खोखली बातें नहीं  इनका है बडा मोल .. मात्र अंग्रेजियत की पहनकर पतलून   नहीं पहुंचोगें मून ..संघर्षों का जगाना  पङेगा जुनून .. दृढ संकल्पों का अमूल्य धन  आत्मविश्वास का ज्ञान  भीतर  से करता है सुदृढ  बिखराव को भी भीतर  लेता है समेट  हौसलों की उडान से रचता है नित नये आयाम  सूक्ष्मता में विराटता का अद्भुत संदेश ... फूले- फूले से दिखते हो  भीतर  खोखलापन भरा है अंग्रेजियत को बनाकर जुनून   पानी- पानी किया अपना खून  .. यह मात्र खोखली बातें नहीं  इनका है बडा मोल .. मात्र अंग्रेजियत की पहनकर पतलून   नहीं पहुंचोगें मून ..संघर्षों का जगाना  पङेगा जुनून ..

रामराज की धवजा पताका

राम  राज्य की ध्वजा पताका  जाने हैं  हम तो सतयुग की भाषा   हम सब की प्यारी धरती माता  प्रेम सौहार्द की प्यारी मीठी भाषा  निस्वार्थ  प्रेम के गुणों से भारतीयों का सहृदय  नाता  मानवों की प्रिय धरती माता  निस्वार्थ  प्रेम  के दरिया में  जीवन को जीवंत करती वसुन्धरा .. अक्सर भीतर कुछ जानवर भी घुस आते    जो जंगल राज बनाना चाहते  अपनी डफली अपना राग, अपना दबदबा चाहते है  जानवर अज्ञानी  प्राण घातक  अपना जंगल राज चाहते. उन जानवरों  को जंगल में  भेजो यारों .. यह धरती तो मानवों के लिए  बनी है .. इतिहास गवाह  है दानवों का अत्याचार   जब- जब अपना वर्चस्व बढाता जाता पवनपुत्र  अवतरित  हो आते  ..अपना वैभव आप दिखाते  ..श्री राम  सत्य  की डंका बजाते.. और जो बेवजह उत्पात मचाते हैं ..उनका अंत  निश्चित   कर जाते हैं फिर  से रामराज  स्थापित  कर  जाते हैं ...

दृष्टि बदली सृष्टि बदली

दृष्टिकोण बदला  दृष्टि बदली सृष्टि बदली  लोगों ने कहा सृष्टि बदली  सृष्टि तो जैसे थी वैसे ही रही  बदला तो व्यवहार बदला .आचरण और  संस्कार रहे हैं .. बदल वृष्टि रही है  स्वार्थ की अंधी दौङ में भागते कहते हैं  धरती डोल रही है ...दुनियां झूठ बोल रही है  बदल नजर रही है .. दृष्टि बदली सृष्टि बदली ..

शिक्षक

 शिक्षक बस एक हरि है शिष्य हम सब जगत प्रभु के दास  पल- पल प्रभु  की सुनते रहें  भजते रहें ,हरिनाम   फल की प्राप्ति की चाह नहीं  यथासमय अंकुरित होगें फल  रखना मन विश्वास  सेवा भाव से कर तपस्या  चाहे पूर्णमा आये या अमावस्या  कभी ना होगा ह्रास   शिक्षक ज्ञान दिव्य दे रहा  बांट रहे दिन- रात ...

अपराध की जङें

आखिर  कब तक   कोलाहल चलता रहेगा  आते रहेगें जलालल  राक्षस रावणों और  मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम के बीच   युद्ध  होते रहेगें  एक भी बीज अपराध  का पनपे  तो उसे उखाङ  फेंकों   एक बार लङ जाओ   डरा के तुम्हें जो अपने  डर का साम्राज्य स्थापित करने  जा रहा है बहुत  जहरीली नस्लें तैयार कर देगा   इसलिए डरना नहीं लङ जाना  कभी मंजूर  नहीं करना मनमानी .. वरना  झेलनी पढेगी बहुत हानि ..

जहर ही जहर को काट रहा

 कहीं हमारा रुतबा खत्म ना हो जाये  इसलिए जहर ही जहर को काट  रहा   तबाही का मंजर है  एक जहरीली शाखा को पकड़कर  उसकी गहराई जानने की कोशिश करते हो  उससे पहले दूसरी जहरीली जङ  पहली जङं को काट देती है  साम्राज्य  फैला हुआ  है .... अपने साम्राज्य  को कौन  खत्म  करना चाहता है ...

राम तो मर्यादापुरुषोत्तम थे ...

सूर्य  के तेज से प्रकाशित सूर्यवंशी राम  के अनुयायी  हम श्री राम  पर आस्था रखने  वाले उन्हीं के प्रताप  की महिमा  पर पूर्ण  रूपेण  विश्वास  करते हैं .. राम  तो मर्यादा पुरुषोत्तम थे  एक बार  को लगा सत्य स्वयं  आकार  श्री राम  अवतार में  अपराधियों का अंत कर गये ... कुछ  अंतराल  बाद  ज्ञात हुआ   जहरीली जडें बहुत गहरी फैली हुई  हैं  जहर ही जहर  का दुश्मन बन उसका अंत  कर रहा है ..जहरीली खेती को इतना तो ज्ञात  है  हमारी जडों का रहस्य अगर खुल गया तो म हम सब का अंत हो जायेगा ...एक जहरीली जङ ने  अपनी ही जहरीले अंग को काट दिया ...

एनकाउंटर

शिकारी की बहादुरी से घायल हुये थे शेर बहुत.  भेजे थे संदेश    घेरे पङे थे शत्रु  ध्यान रखना था  माना की तुम्हारा भी बहुत दबदबा था   चल रहे थे बङी होशियारी से तुम भी .. घायल  था जो .. दर्द में कराह रहा होगा  उसका दर्द  उसे चैन से रहने कहां दे रहा होगा  भीतर घुस  कर..कर दिया उसने भी एनकाउंटर  ...  

बुलडोज़र

अपराध की जङें अपने पैर पसारने लगें  इससे पहले इन जडों को उखाङ  फेंकना चाहिए   जहरीली जङें जहरीली फसलें पैदा करती हैं  और  उस जहर का बुरा असर  आने वाली कई जिंदगियां बर्बाद  कर  देता है  और  फिर अंत में बुलडोजर को चलना ही पङता है... अवैध खनन हो या कानून के विरुद्ध   अपराधिक  गतिविधियां  सुधरने की सीमा पार हो जाने  के बाद उन पर  कार्यवाही होनी ही चाहिए   वरना अपराध की जङें  अपने पैर  पसारने लगती हैं..

गुब्बारे

मेरी मासूमियत इसमें है ,मैं मासूमों को ही सबसे ज्यादा भाता हूं  रंग- बिरंगे गुब्बारे ..देख चेहरे पर दौड़ उठती हैं खुशी के लहरें ...     मुझे देख लोगों के चेहरों पर मुस्कान आ ही जाती है ....

बैसाखी की धूम

नाच रही खेतों में बालियां  समीर नाचें मानों बजाती तालियां  आज भंगङा पान नू जी करदा  नाच गावन का जी करदा  बैसाखी ने धूम मचाई  वसुन्धरा हर्षायी  कृषक मेहनत रंग लायी  खेतों में फसल लहलहायी.. हरियाली फिर भर आयी .. खालसा पंथ ने सिंह पहचान बनाई   

लौ + की हो गया जी

आज सब नाखुश हैं ..?  लौकी ...लौ+ की हो गया जी ... आज लौकी की सब्जी जो बनी है ... अरे वाह! लौकी की सब्जी .. मुझे खिला दो ... पेट को आराम मिलेगा.. की दिन से मसालेदार  खाना खा रही हूं ..  लौकी से पेट के विषैले तत्व  बाहर निकल  जायेगें . . लौकी की सब्जी .. हल्के में ना लो जी ... फायदे .. सुपाच्य..पेट की गर्मी  को कम कर भूख बढाती है ... लौकी एक गुण अनेक .. लौकी का नाम सुन हल्के में मत लेना ... 1,,लौकी के कोफते ... 2,, चने  की दाल में लौकी मिला कर स्वादिष्ट दाल बनती है  3- लौकी वाले चावल  5- लौकी की खीर   6- सबका पसंदीदा सांभर  लौकी के बिना अधूरा है ... 7- मूंग  की दाल  लौकी भी बनती है ..

कोफता करी ...

 *लौकी के कोफते*  ... पौष्टिक सेहतमंद गुणों से भरपूर   विधी:-

शाकाहारी

बनों शुद्ध  शाकाहारी  प्रकृति से हमारा प्रिय नाता  जीने का आधार  दिया है हमें रंग - बिरंगे अमिय रस हैं प्यारे  वृक्षों पर फलते- फूलते रहें फल न्यारे - न्यारे  नहीं हम प्राण रहित जीव मांसाहारी .. हम हैं शुद्ध शाकाहारी  फलती फूलती समृद्ध  रहे वसुंधरा हमारी  प्रकृति ने हमें उपहार दिया है  पौष्टिक तत्वों का भण्डार  दिया है .. हमें फल तरकारी ही भाती  रसास्वाद में अमृत सी साची  गुणों की भरमार हरि भजिया पाती  धरा भीतर फल अंकुर होते  मीठे- मीठे फल अमिय सरीखे . अनाज की खेती समृद्धि की सूचक   कनक ,रबि की फसलें स्वर्णिम धरा  रजत सी शीतल  ..  मूंग ,चना में,प्रोटीन आपार   मोटी दालें गुणों का भण्डार   मार किसी को हम नहीं खाते  प्रकृति प्रदत अमिय ही पाते  विभिन्न  गुणों से भरपूर   रंगों में छिपे पौष्टिक रसायन   शाक - फलों की अद्भुत अद्वितीय बातें  अमिय पदार्थ  हम जी भर  पाते ...

तरकारी की तैयारी

करनी थी तरकारी की तैयारी  पहुंची सब्जी मंडी ...देखी   सब्जियों की भीङ  भारी  हरी - पालक ,तोरी लौकी  गोभी ,मटर, शिमला मिर्च ,भिडी भागों वाली ...  उछल- उछल कर आलू बोला खोलो - खोलो  थैला खोलो   हमको जी भर कर ले लो  मैं मन.ही मन बोली..  अरे रहने दो आलू  आलू खा- खाकर  हो बन जाऊंगी भालू .. गोभी आलू  मटर आलू   दम आलू के सब खूब लेते चटकारे  पूरी संग आलू.. आलू अहो भाग तुम्हारे   बैगन आलू  शिमला मिर्च  आलू  डालो मुझे कहीं भी डालो .. सब्जी का भाव बढा लो .. बच्चों के प्यारा आलू के चिप्स  आलू का परांठा मन भाता चेहरे पर आ जाती रौनक ..  ... गोल-गोल टमाटर   करने लगा पटर - पटर  मेरे बिन क्या स्वाद भाजी का खट्टा चटपटा मैं भी हूं हर भाजी का राजा  आजा - आजा मुझको भी डाल थैले मैं  स्लाद का मैं स्वाद बढा दूं  भाजी का भाव बढा दूं ... हरा धनिया देख बन जाते सब बनिया  हरी मिर्च का तीखापन ...  जीभ चटोरी  स्वाद ढूढती चटपटा भोजन ... हर तरकारी लागे प्यारी  भूख मिटाती सेहत बनाती  तरकारी संग कर लो यारी  स्वास्थ्य  धन की संजीवनी हमारी ...

परियों की घाटी

दिल  को अच्छा सोचने की आदत हो ..आंखो को अच्छा देखने की.. मन में शुभ  भावना हो तो दिखती हैं परियां ....देवलोक  से जो आती हैं .. उतरती हैं यहां परियां .. किस्मत  वाले ही देख पाते हैं ..इन परियों को ..  पहाङों की गोद में ..आसमान के उस पार  ..बादलों के उङनखटोले पर परियों के देश में ... हम चले सपनों के सुन्दर जहां में .. उतरेगें अब परियों की घाटी में ...  

ठहराव भी जरुरी है

जीवन  में आगे बढने के लिए   बहाव संग ठहराव भी चाहिए   देने की चाह से कर्म  प्रारम्भ  करिये  मिलने की प्रक्रिया स्वतः सिद्ध  होती जायेगी   दौड़ रहा है हर कोई  आगे बढने की होङ में  जाने आगे बढ रहे हैं  या बह- बह कर स्वयं  का अस्तित्व  ही मिटा रहे हैं  कहां जा रहे हैं ... आगे की ओर   ऊंचा उठने के लिए  .. गहराई  बढाओ भीतर की  से आत्मा की ओजिस्वता बढती है  जिससे शुभ  संकल्प  सिद्ध  होते हैं 

उम्मीद की किरण

 डर के आगे जीत है  चुनौतियां आपके दरवाजे पर आकर   निरंतर  दस्तक देगीं  आपको धमकायेगीं  आपके हौसलों को इसकदर कमजोर कर   देगीं कि आप टूट कर  बिखर जाओ ... पर आप टूटना नहीं .. उम्मीद  की एक किरण  अपने संग रखना ... अपने हौसलों के पंखो को उड़ान के लिए  तैयार  रखना  और  कभी भी मौका देखकर   उङ जाना दूर आसमान  की उंचाईयों में  और रच देना इतिहास  ...

वाणी को वीणा बना

वाणी को वीणा बना  छेङ मधुर  राग ... शब्द महिमा बङी अनमोल   जब हो प्रवाहित निकले रत्न अनमोल  शब्द  प्रवाह दिव्य साधना   तपस्या से विचारों को बांधना  बंधन शक्ति का अभिप्राय  मन की अनमोल विचारणीय सम्पदा स्वाध्याय से अति उत्तम फल प्राप्त  शब्द  निकले जो ब्रह्म का सार  अखण्ड ज्योति से दिव्य प्रकाश   वाणी को बना वीणा  सजा सुर..छेङ मधुर राग  मीठी तान का तालमेल   सुना संगीत सुन्दर साज बजा  कर आगाज भीतर  भव्य सरोवर  वाणी में रस अमृत की धार  शब्द वीणा के छेङ सुन्दर तार  जब भी निकले बस मधुर  राग ... शीतलता का शब्द प्रवाह मन हर्षित   सुखमय हो सब संसार  ..

*पवनपुत्र*

* रामदूत अतुलित बलधामा  अंजनिपुत्र पवनसुत नामा  महावीर विक्रम कुमति निवार   सुमति के संगी* .... *प्राणों में प्राण वायु बन रहता श्रीराम भक्त  हनुमान कहलाता **

सफर..

"ना कर तू फिक्र  जिन्दगी है सफर अच्छी यादों का बना काफिला  ना कर तू किसी से गिला जिन्दगी आवागमन का सिलसिला सफर में है तू कर सफर ना उलझ तू ,सम्भल कर तू चल कुछ अच्छी बातों का बना सिलसिला कुछ कर गुजरने का बढा हौंसला तेरी करनी से हो किसी का भला सफर हैं पर तू जीने का अंदाज एसे बना कुछ भले अस्मरणीय संस्कारों को कर ले जमा तेरे होने की सदियों तक हो चर्चा  कुछ महत्वपूर्ण कामों का भव्य सरोवर बना ... सफर पर तू छोङ एसे निशान दुनियां ढूढे तुझ सा महान

खूबसूरती ...

 नजरों के कैमरे में कैद..  खूबसूरत नजारे 

भावनाएं

 *पत्थरों के शहर में दिल की कोमल भावनाएं अक्सर  घायल  पायी जाती हैं  किन्तु बात यह भी सच है कि सुन्दर कोमल आकर्षक  पुष्पों के खिलने से ही बागों में बहार आती है*  हर किसी से खुलकर नहीं कही जाती दिल की कोमल  भावनाएं ..बहुत भोली और मासूम सी.. जख्म खाकर  भी मुस्कराती रहती हैं ..