* बंसत पचंमी * *ऋतु बसंत,समीर चले मधुर – मधुर सवंच्छद* नव पल्लव अंकुरित पुष्प मरकंद.. मन प्रफुल्लित सूर्य प्रकाश अद्भुत प्रसन्न अंतर्मन आयो ऋतु बसंत ज्ञानामृत बुद्धि, विवेक का भण्डार हो, मां शारदे तुमको नमन प्रकाश,ज्ञान कलश अनन्त धन, वैभव सुख-सम्पत्ति लक्ष्मी की पवित्र – पावन रश्मियां नमों मां सरस्वती मां देवी बुद्धि, वैभव सुख-समृद्धि का प्रकाश हो.. आयो ऋतु बंसत...