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Showing posts from February 1, 2025

बसंत की बहार

सर्वप्रथम मां शारदे को नमन बसंत पंचमी त्यौहार है, बसंती फुहार का  प्रकृति के नव आगमन का..  ज्ञान की देवी माँ शारदे की उपासना का  जीवन में आगे बढ़ने का..  यह मौसम है प्रकृति के श्रृंगार का..  हमारी प्रकृति इतनी सुन्दर है कि  नील गगन भी पलक नहीं झपकता  एक बार तो नील गगन प्रकृति का सौम्य रुपदेख उस पर मोहित हो गया और लिख डाली  एक कविता - -  निसर्ग के लावण्य पर, व्योम की मंत्रमुग्धता श्रृंगार रस से पूरित ,अम्बर और धरा  दिनकर की रश्मियां और तारामंडल की प्रभा  प्रेम जगत की रीत है, प्रेम मधुर संगीत है  सात सुरों के राग पर प्रेम गाता गीत है प्रेम के अमृत कलश से सृष्टि का निर्माण हुआ  श्रृंगार के दिव्य रस से प्रकृति ने अद्भूत रुप धरा भाव भीतर जगत में प्रेम का अमृत भरा प्रेम से सृष्टि रची है, प्रेम से जग चल रहा प्रेम बिन कल्पना ना,सृष्टि के संचार की  प्रेम ने हमको रचा है, प्रेम में हैं सब यहां  प्रेम की हम सब हैं मूरत प्रेम में हम सब पले  प्रेम के व्यवहार से, जगत रोशन हो रहा प्रेम के सागर में गागर भर-भर जगत है चल रहा प...